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आईजीआई एयरपोर्ट पर पक्षियों के टकराने की घटनाएं: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और एयरपोर्ट अथॉरिटी को नोटिस जारी किया

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 19-03-2025
High bird strikes at IGI Airport: Delhi HC issues notice to Centre, Airports Authority
High bird strikes at IGI Airport: Delhi HC issues notice to Centre, Airports Authority

 

नई दिल्ली
 
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे पर पक्षियों/वन्यजीवों के विमानों से टकराने की बढ़ती घटनाओं के मुद्दे को उजागर करने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) की जांच करने पर सहमति जताई.
 
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने नोटिस जारी करते हुए केंद्र, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और अन्य से छह सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब मांगा है.
 
याचिका में कहा गया है, "आईजीआई हवाई अड्डे पर पक्षियों/वन्यजीवों के विमान से टकराने से न केवल विमान में सवार यात्रियों की जान और सुरक्षा को खतरा होता है, बल्कि विमान दुर्घटना की स्थिति में आसपास के इलाकों के निवासियों को भी खतरा होता है."
 
याचिका के अनुसार, 2018-2023 की अवधि के दौरान आईजीआई हवाई अड्डे पर पक्षियों के टकराने की कुल घटनाओं की संख्या 705 थी, जो छह अलग-अलग राज्यों के 29 हवाई अड्डों पर दर्ज की गई संयुक्त पक्षी टकराने की घटनाओं से अधिक थी.
 
इसमें कहा गया है कि “ऐसी घटनाओं के घटित होने का मुख्य कारण आईजीआई एयरपोर्ट के आसपास बूचड़खाने, मीट की दुकानें, डेयरी फार्म और पर्यावरण प्रदूषण की मौजूदगी है.”
 
दलीलें सुनने के बाद पीठ ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, दिल्ली सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया.
 
जनहित याचिका में अधिकारियों को पक्षी विमान हमले के खतरे [बीएएसएच] को कम करने और दिल्ली एयरपोर्ट पर पक्षी परिहार मॉडल [बीएएम] को लागू करने के लिए तत्काल और प्रभावी उपाय करने के निर्देश देने की मांग की गई है, जिसके अभाव में अतीत में गंभीर दुर्घटनाएं हुई हैं.
 
विमान नियम, 1937 और भारतीय वायुयान विधेयक, 2024 हवाई अड्डे के संदर्भ बिंदु से 10 किलोमीटर के दायरे में जानवरों के वध या खाल उतारने या उससे संबंधित किसी भी कचरे के निपटान पर रोक लगाते हैं, जिससे पक्षियों/जानवरों के आकर्षित होने की संभावना हो.
 
याचिका में कहा गया है, "जबकि प्रतिवादियों (अधिकारियों) ने माना है कि उक्त कारणों से BASH दुर्घटनाओं में वृद्धि हुई है, उक्त खतरे को रोकने के लिए कोई प्रभावी उपाय/कदम नहीं उठाए गए हैं." याचिकाकर्ता गौरी मौलेखी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कीर्तिमान सिंह ने किया, जिन्हें मेसर्स करंजावाला एंड कंपनी की अधिवक्ता मेघना मिश्रा और यशोधरा गुप्ता ने सहायता प्रदान की. मामले की अगली सुनवाई 14 मई को होगी.