इलाहाबाद
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर के 'व्यास तहखाना' में हिंदू पक्षों को पूजा करने की अनुमति देने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी.इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने सुनाया.
न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा, "मामले के पूरे रिकॉर्ड को देखने और संबंधित पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद, अदालत को जिला न्यायाधीश द्वारा 17.01.2024को डीएम, वाराणसी को रिसीवर नियुक्त करने के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला." संपत्ति के साथ आदेश दिनांक 31.01.2024जिसके द्वारा जिला अदालत ने तहखाना में पूजा की अनुमति दी थी."
वाराणसी जिला अदालत ने 31जनवरी को फैसला सुनाया था कि एक पुजारी ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों के सामने प्रार्थना कर सकता है.मस्जिद समिति ने फैसले को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख किया.
— ANI (@ANI) February 26, 2024
मस्जिद समिति ने जिला अदालत के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की है.अदालत के आदेश के बाद वकील प्रभाष पांडे ने कहा, "न्यायाधीश ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जो मुस्लिम पक्ष ने जिला न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दायर की थी.इसका मतलब है कि पूजा वैसे ही जारी रहेगी."
— ANI (@ANI) February 26, 2024
अदालत के फैसले को 'सनातन धर्म की बड़ी जीत' बताते हुए उन्होंने कहा, "वे (मुस्लिम पक्ष) फैसले की समीक्षा के लिए जा सकते हैं.पूजा जारी रहेगी."सोमवार को इलाहाबाद HC के फैसले के बाद, हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, "आज, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया के आदेशों की पहली अपील खारिज कर दी है... अगर वे सुप्रीम कोर्ट जाते हैं, तो हम दायर करेंगे।" उच्चतम न्यायालय के समक्ष हमारी चेतावनी...''
वकील हरि शंकर जैन ने कहा, "हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा गया है.हिंदू 1993 तक व्यास तहखाना में पूजा कर रहे थे, लेकिन उन्हें गैरकानूनी रूप से रोक दिया गया था."