स्कार्दू, पीओजीबी. पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान (पीओजीबी) में सरकार के अतिक्रमण के बारे में बढ़ती चिंताओं के जवाब में, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता हाल ही में लागू किए गए इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पीईसीए) 2025 का कड़ा विरोध कर रहे हैं.
उनका आरोप है कि यह कानून मीडिया की स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति व्यक्त करने की क्षमता के लिए एक बड़ा खतरा है. पामीर टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्कार्दू में एक विरोध प्रदर्शन हुआ, जहाँ पत्रकारों ने इस कानून की निंदा करते हुए इसे ‘काला कानून’ बताया, जो लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कमजोर करता है और आलोचनात्मक आवाजों को चुप करा देता है.
पाकिस्तान फेडरल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और नेशनल प्रेस क्लब के अध्यक्ष अफजल द्वारा आयोजित यह विरोध प्रदर्शन, बाल्टिस्तान यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स के समर्थन में स्कार्दू प्रेस क्लब के सामने आयोजित किया गया था.
पामीर टाइम्स द्वारा अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर साझा किए गए एक वीडियो में, प्रदर्शनकारियों ने इस बात पर जोर दिया कि यह अधिनियम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है, और चेतावनी दी कि इससे सेंसरशिप और विविध विचारों का दमन हो सकता है. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि कानून की व्यापक शक्तियों का दुरुपयोग आलोचनात्मक पत्रकारिता और खोजी रिपोर्टिंग को चुप कराने के लिए किया जा सकता है.
एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘‘हम दमनकारी कानूनों का पालन करने के लिए तैयार नहीं हैं. यह कानून पत्रकारों की स्वतंत्र आवाज पर सीधा हमला है.’’ एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा कि यह कानून सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 2018 में इसी तरह के कानून के साथ पीटीआई सरकार के तहत हुई थी. प्रदर्शनकारियों ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा सिर्फ पत्रकारों या वकीलों तक ही सीमित नहीं है-यह पूरे समाज को प्रभावित करता है.
एक वक्ता ने टिप्पणी की, ष्काले कानूनष् का विरोध करने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बिना, कोई सामाजिक प्रगति या लोकतांत्रिक विकास नहीं हो सकता है.’’
पीओजीबी में, सरकार की उपेक्षा मीडिया प्रतिबंधों से परे है. शिक्षा की खराब गुणवत्ता को लेकर भी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जबकि ढहते बुनियादी ढांचे, अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा और पत्रकारों की गिरफ्तारी से लोगों की हताशा और बढ़ रही है. यह जारी अशांति शासन के गहरे होते संकट और क्षेत्र में बुनियादी स्वतंत्रता के संघर्ष को रेखांकित करती है.