गिलगित, पीओजीबी. पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान के अधिवक्ता मुहम्मद जलील ने पीओजीबी में कानूनी समुदाय के समर्थन में जोरदार आवाज उठाई है, जिसमें पाकिस्तान के अन्य प्रांतों में उनके समकक्षों को उपलब्ध आवश्यक सुविधाओं और सेवाओं की कमी की ओर ध्यान दिलाया गया है.
पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित बाल्टिस्तान (पीओजीबी) के वकील समान अधिकारों और बुनियादी सुविधाओं, जैसे स्वास्थ्य सेवा और विशेष अदालतों तक पहुंच की मांग कर रहे हैं, जो पाकिस्तान के अन्य हिस्सों में उनके समकक्षों को उपलब्ध हैं. वे पीओजीबी में समर्पित अदालतों की अनुपस्थिति को उजागर करते हैं, जिससे स्थानीय आबादी को न्याय देने में काफी देरी होती है.
जलील के अनुसार, क्षेत्र के कानूनी पेशेवरों को गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पास स्वास्थ्य सुरक्षा और विशेष अदालतों जैसी महत्वपूर्ण सहायता प्रणालियों तक पहुंच नहीं है, जो अन्य प्रांतों में उपलब्ध हैं.
एक साक्षात्कार में, जलील ने पीओजीबी और देश के अन्य भागों के बीच कानूनी ढांचे में भारी अंतर को उजागर किया. उन्होंने बताया कि जबकि विभिन्न प्रांतों में वकीलों को स्वास्थ्य सुरक्षा योजनाओं और न्याय प्रदान करने में तेजी लाने के लिए डिजाइन की गई विशेष अदालतों से लाभ मिलता है, पीओजीबी ऐसे लाभों से वंचित रहता है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह असमानता एक अन्यायपूर्ण स्थिति पैदा कर रही है जहाँ क्षेत्र के वकील अपने मुवक्किलों को समान स्तर की सेवा प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं.
जलील ने आगे पीओजीबी में एक समर्पित विशेष अदालत की कमी का उल्लेख किया, जो एक महत्वपूर्ण घटक है जो अन्य प्रांतों में कानूनी कार्यवाही को गति देता है. उन्होंने बताया कि इस अदालत की अनुपस्थिति नागरिकों को न्याय के लिए लंबे समय तक इंतजार करने के लिए मजबूर करती है, जिसके परिणामस्वरूप सुनवाई में देरी होती है और कानूनी निवारण की मांग करने वालों के लिए अनिश्चितता की लंबी अवधि होती है. जलील ने दुख जताते हुए कहा, ‘‘स्थिति लगातार अनुचित होती जा रही है. हम अन्य प्रांतों के समान कानूनी ढांचे के तहत काम कर रहे हैं, फिर भी हम उन बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं जो निष्पक्ष और त्वरित कानूनी प्रक्रिया सुनिश्चित करती हैं.’’
वकील की टिप्पणी कानूनी समुदाय के बीच बढ़ती निराशा के बीच आई है, जिसके कारण विरोध प्रदर्शन हुए हैं और तत्काल सुधारों की मांग की गई है. कई लोगों ने उम्मीद जताई है कि सरकार जल्द ही इन असमानताओं पर ध्यान देगी और च्वळठ वकीलों को उनके हक और संसाधन मुहैया कराने की दिशा में काम करेगी. जलील और उनके सहयोगियों के लिए, एक निष्पक्ष व्यवस्था की लड़ाई सिर्फ पेशेवर लाभ के बारे में नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि च्वळठ के लोग बिना किसी अनावश्यक देरी के न्याय तक पहुँच सकें.
विरोध प्रदर्शन जारी हैं, यह देखना बाकी है कि क्या सरकार इन ज्वलंत मुद्दों को संबोधित करेगी और पीओजीबी को देश की बाकी कानूनी प्रथाओं के अनुरूप लाएगी.