गुलाम मोहम्मद जाज: जिनके दम से जिंदा है कश्मीर में संतूर निर्माण

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 14-07-2024
Ghulam Mohammad Jaaz
Ghulam Mohammad Jaaz

 

बासित जरगर

श्रीनगर में झेलम नदी के किनारे एक जीर्ण-शीर्ण कमरे में, एक बुजुर्ग आदमी तारों और खूंटियों से खेलते रहते हैं, जो कभी-कभी उस खामोशी को तोड़ते हैं, जो प्राचीन मिट्टी की दीवारों और फर्श पर बिखरे मलबे के ऊपर मंडराती है.

एक छोटी सी खिड़की से रोशनी अंदर आती है, जो उनके बूढ़े चेहरे और मुरझाई हुई उंगलियों को रोशन करती है, जो एक अधूरे संतूर की खुरदरी आकृति को छूती हैं.

तीन शताब्दियों से, इसी कमरे में, उनके पूर्वजों ने कश्मीर के सबसे बेहतरीन संतूर और रबाब बनाए हैं, जो दोनों ही पारंपरिक तार वाले वाद्य हैं.

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अब, 74 वर्षीय गुलाम मोहम्मद जाज इस परंपरा पंक्ति में अंतिम हैं. उनके जाने के बाद, यह आशंका है कि यह कमरा - एक पूरी परंपरा के साथ - गुमनामी में चला जाएगा. कमरे में बैठे जाज ने कहा, ‘‘हम पिछले 300 सालों से रबाब और संतूर बना रहे हैं.’’ उन्होंने गर्व से कहा, ‘‘हमारे पुरखों कश्मीर में पहला संतूर बनाया.’’ ‘‘घाटी के सभी बड़े कलाकारों ने हमारे संतूर बजाए.’’

जाज कश्मीर के सबसे मशहूर और सम्मानित संतूर और रबाब निर्माताओं के परिवार की आठवीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. तीन शताब्दियों तक, उनके परिवार ने घाटी के सबसे प्रतिष्ठित सूफियाना संगीतकारों को उनके वाद्ययंत्र उपलब्ध कराए. जबकि उनके परिवार ने मोमबत्ती की रोशनी में बेहतरीन वाद्ययंत्र बनाने की कोशिश की, जाज ने कई रातें उन्हें देखने और उस कला को सीखने में बिताईं, जिसके वे अब अंतिम मास्टर हैं.

जाज याद करते हैं, ‘‘जब मैंने अपना पहला संतूर बनाया था, तब मैं 15 साल का था.‘‘ जाज ने याद किया, ‘‘मैंने अपने पिता को इतनी बारीकी से देखा कि मैंने बस अखरोट की लकड़ी का एक टुकड़ा उठाया और संतूर बना दिया.’’

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जाज बताते हैं, ‘‘मैं अपने पिता और दादा के सामने बैठकर उनकी नकल करता था, जब तक कि मैंने उनके बनाए सभी वाद्य यंत्र बनाना नहीं सीख लिया.’’ संतूर का जिसका फारसी अर्थ है ‘सौ तार’. यह वाद्ययंत्र 15वीं शताब्दी के फारसी आक्रमणकारियों के साथ कश्मीर में आया था.

जाज बताते हैं कि दुनिया के कई हिस्सों में संतूर के विभिन्न संस्करण मौजूद हैं, जो ज्यादातर तारों की संख्या के मामले में अलग-अलग हैं. फारसी संतूर में अब 72 तार हैं, चीनी संस्करण में 45 और जर्मन संस्करण में 135 हैं.’’

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कश्मीरी संतूर एक समलम्बाकार आकार का हथौड़े से बजाया जाने वाला डलसीमर है, जिसके सौ तारों को एक जोड़ी घुमावदार हथौड़ों से बजाया जाता है, जिन्हें मेजराब कहते हैं. संतूर, रबाब के साथ, कश्मीरी लोक और सूफी संगीत का एक अभिन्न अंग है.

उन्होंने कहा कि सालों से, जब सूफियाना संगीत शाही दरबारों और अमीरों की सभाओं में ध्वनि और सुंदरता लेकर आया, तो जाज परिवार ने खूब सुर्खियाँ बटोरीं. वह और समय था.’’

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आज के दौर से बहुत अलग, गर्व से याद करते हैं. वे याद करते हैं कि हमारी कला के लिए हर कोई हमारा सम्मान करता था. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे साथ कलाकारों जैसा व्यवहार किया जाता था और हमारी कला के लिए हमें अच्छी रकम दी जाती थी.

आज, बदलते समय और कश्मीर में भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच, जाज अपनी खस्ताहाल दुकान में पीछे छूट गया है, जहाँ ग्राहक दुर्लभ हैं और संतूर के पारखी और भी दुर्लभ हैं. वे कमरे की ओर इशारा करते हैं और पुराने दिनों को याद करते हैं, जब उनकी दूसरी मंजिल की दुकान - उनके जीवन की तरह - ज्यादा चमकीली थी और ज्यादा उम्मीदें जगाती थी. कमरे की दीवारें अब दशकों से परिवार द्वारा अखरोट की लकड़ी को गर्म करके नरम बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आग से काली पड़ गई हैं.’’

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जाज का मानना है कि दुनिया ने उन्हें भुला दिया है और उन्हें बीते जमाने के अधूरे रबाब, संतूर और सारंगियों के बीच छोड़ दिया है. वे कहते हैं, ‘‘हर कोई पैसा कमा रहा है. वे यहाँ आते हैं और तस्वीरें लेते हैं और मेरे बारे में लिखते हैं, और वे सभी पैसा कमाते हैं. लेकिन मुझे कुछ नहीं मिलता. मुझे संदेह है कि क्या यह अब इतनी मेहनत के लायक है.’’

जाज की तीन बेटियाँ हैं, लेकिन परिवार के पारंपरिक व्यवसाय को विरासत में देने के लिए कोई बेटा नहीं है. उनकी बेटियों ने कभी यह कला नहीं सीखी और हमेशा अपनी पढ़ाई जारी रखी. वे कड़वाहट से कहते हैं, ‘‘मुझे खुशी है कि मेरा कोई बेटा इस कला में नहीं है और मेरे किसी भी बच्चे को मेरी तरह कष्ट नहीं सहना पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे गर्व है कि मेरी बेटियाँ नई दुनिया का हिस्सा हैं.’’

कभी-कभी, जाज को एक भी रबाब या संतूर बेचने में महीनों लग जाते हैं. वे कहते हैं, ‘‘अब मेरा ज्यादातर कारोबार पर्यटकों और विदेशी ग्राहकों पर निर्भर करता है.’’ अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए, जाज सारंगी और वायलिन सहित अन्य तार वाले वाद्ययंत्रों की मरम्मत भी करने लगे हैं.