पूर्व गृह मंत्री सुशील शिंदे का बयान कांग्रेस पर पड़ा भारी, खोल दी कश्मीर में बुरे दौर की असलियत

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 10-09-2024
 Sushil Shinde
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राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

एक समय था जब कश्मीर का नाम सुनते ही आतंकवाद की छाया का डर मन में घर कर लेता था. लाल चौक, जो कभी कश्मीर की पहचान हुआ करता था, वहां जाने की सोच मात्र से सिहरन होने लगती थी. आतंकवाद के खौफ ने इस क्षेत्र को इस तरह जकड़ रखा था. इसी संदर्भ में पूर्व गृह मंत्री सुशील शिंदे का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि पहले लाल चौक पर जाने में डर लगता था. उनका यह बयान न केवल बीते समय के हालातों का खुलासा करता है, बल्कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हुए सकारात्मक बदलावों की भी ओर इशारा करता है.

राशिद किदवई की एक किताब के विमोचन के मौके पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने एक बयान दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. वीडियो यह बताया कि जब वह गृहमंत्री थे, तो कश्मीर और श्रीनगर आतंकवाद के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था. यहां तक उन्हें भी लाल चौक पर जाने में डर लगता था.

वीडियो में सुशील कुमार शिंदे कहते सुने जा सकते हैं जब मैं गृह मंत्री था, तब मैं उनसे (शिक्षाविद् विजय धर) मिलने गया था. उन्होंने कहा कि मैं उनसे सलाह मांगता था. उन्होंने मुझे सलाह दी कि आप इधर-उधर मत भटकिए, लाल चौक (श्रीनगर में) में जाकर भाषण दें, कुछ लोगों से मिलें और डल झील में घूमें. उस सलाह से मुझे बहुत पब्लिसिटी मिली और लोगों के बीच संदेश गया कि एक ऐसा गृह मंत्री है, जो बिना डर के जाता है, लेकिन मैं किसे बताऊं कि लाल चौक जाने पर मैं कितना डरा हुआ था? पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के इस बयान को सुन हॉल में मौजूद सभी लोग जोर-जोर से ठहाके लगाते हैं.

कांग्रेस का कबूलनामा बीते दौर की सच्चाई है

शिंदे के बयान से स्पष्ट है कि कांग्रेस ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि कश्मीर में हालात पहले कितने कठिन और खतरनाक थे. आतंकवाद के कारण यहां सामान्य जीवन और सुरक्षा एक बड़ा सवाल बन चुके थे. लेकिन अब, उसी कश्मीर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी न केवल घूम रहे हैं, बल्कि लोगों से संवाद भी कर रहे हैं. यह बदलाव कश्मीर की वर्तमान स्थिति की ओर संकेत करता है, जहां अब आतंकवाद के डर की जगह शांति और स्थिरता ने ले ली है.

मोदी सरकार की सख्ती

जब 2014 में नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली, तब उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त और स्पष्ट नीति अपनाई. राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए उनकी सरकार ने कई निर्णायक कदम उठाए, जिनमें अनुच्छेद 370 का खात्मा भी शामिल है. यह कदम कश्मीर में आतंकवाद पर नकेल कसने और उसे समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ. परिणामस्वरूप, आज कश्मीर में वह स्थिति नहीं रही, जहाँ लोग लाल चौक जाने से डरते थे.

मोदी सरकार के कार्यकाल में आतंकवाद पर जो नकेल कसी गई, उसने न केवल कश्मीर में शांति बहाल की, बल्कि देश भर में यह संदेश भी दिया कि आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की सक्रियता और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्यवाहियों ने यह साबित कर दिया कि सरकार आतंकवाद पर गंभीर है.

कांग्रेस का नया दृष्टिकोण

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का कश्मीर दौरा यह दर्शाता है कि कांग्रेस भी अब कश्मीर की नई स्थिति को स्वीकार कर रही है. जहां एक समय कांग्रेस नेताओं को कश्मीर आने में हिचकिचाहट होती थी, वहीं अब वे खुलकर घाटी के लोगों से मिलने और उनके मुद्दों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. यह कांग्रेस के दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव दिखाता है.

हाल ही में राहुल गांधी का कश्मीर दौरा और प्रियंका गांधी का पर्यटन स्थल गुलमर्ग की यात्रा करना इस बात का प्रमाण है कि कश्मीर अब न केवल सुरक्षित है, बल्कि एक पर्यटन स्थल के रूप में भी अपनी खोई पहचान वापस पा रहा है.

कांग्रेस पर हमले शुरू 

उधर, शिंदे के वीडियो को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर हमले शुरू कर दिए हैं. भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सुशील कुमार शिंदे का वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘‘अपने संस्मरण के विमोचन के अवसर पर यूपीए काल के गृह मंत्री सुशील शिंदे ने स्वीकार किया कि उन दिनों कश्मीर घाटी में हालात इतने खराब थे कि वहां जाने में डर लगता था. तब से हालात काफी बदल गए हैं. हर साल दो-तीन करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर आते हैं.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘यहां तक कि बालक बुद्धि और उनकी बहन भी बर्फ में ‘स्नो फाइट’ करते हुए देखे गए थे. हाल ही में तीसरी बार असफल हुए राहुल गांधी देर रात एक आइसक्रीम पार्लर में गए. इसके अलावा लाल चौक और डल झील भी गए. आर्टिकल-370 के हटने से कश्मीर में लोगों का जीवन बदल गया है. जमीनी स्तर पर लोकतंत्र मजबूत हुआ है, भ्रष्ट अब्दुल्ला और मुफ्तियों का प्रभाव कम हुआ है.’’

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने एक्स पोस्ट में लिखा, ‘‘यूपीए काल के गृहमंत्री सुशील शिंदे ने माना कि वह जम्मू-कश्मीर जाने से डरते थे. आज राहुल गांधी आराम से कश्मीर में श्भारत जोड़ो यात्राश् और स्नो फाइटिंग करते दिखे. लेकिन, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को आतंक के दिनों में वापस ले जाना चाहती हैं.’’

कश्मीर में उम्मीद की नई किरण

कश्मीर के लोग भी अब इस बदलाव को महसूस कर रहे हैं. जहां पहले सुरक्षा का डर उनके जीवन का हिस्सा था, अब वे शांति और विकास की नई उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे हैं. कश्मीर की वादियों में लौटती शांति न केवल क्षेत्र के लोगों के लिए राहत की बात है, बल्कि देशभर के नागरिकों के लिए भी यह गर्व का विषय है. 

पूर्व गृह मंत्री सुशील शिंदे के बयान से यह स्पष्ट है कि कश्मीर में पिछले कुछ वर्षों में बड़ा बदलाव आया है. मोदी सरकार की सख्त नीतियों ने आतंकवाद पर लगाम कसी है और कांग्रेस के नेताओं को भी अब घाटी में दौरा करने का साहस मिला है. यह बदलाव भारत के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है, जहाँ कश्मीर अब शांति और विकास की दिशा में अग्रसर है.

(एजेंसी इनपुट सहित)

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