देखें वीडियो: डा. अल-इस्सा के वक्तव्य पर आवाज द वाॅयस से क्या बोलीं देश की नामचीन हस्तियां

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 14-07-2023
शांति सम्मेलन में विभिन्न प्रतिष्ठित हस्तियों ने की शिरकत, मुख्य अतिथि रहें डॉ. अल-इस्सा
शांति सम्मेलन में विभिन्न प्रतिष्ठित हस्तियों ने की शिरकत, मुख्य अतिथि रहें डॉ. अल-इस्सा

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

सप्ताह भर के भारत दौरे पर आए मुस्लिम वल्र्ड लीग के प्रमुख डाॅ. अल-इस्सा के विभिन्न मौकों पर दिए गए वक्तव्य की हर तरफ सराहना हो रही है. इन कार्यक्रमों में शामिल देश की नामचीन हस्तियों ने अल-इस्सा द्वारा शांति सद्भाव के लिए किए जा रहे प्रयासों को भी खूब सराहा.

उनके विचारों एवं ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन पर प्रतिक्रिया देते हुए अधिकांश लोगों ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे प्रयास लगातार होते रहने चाहिए ताकि समाज में नफरत फैलाने वालों को कोई मौका नहीं मिल सके. इसके अलावा देश की नामचीन हस्तियों ने सकारात्मक विचारों वाले प्रकाशन पर भी जोर दिया. अपने संबोधन में अल-इस्सा ने इसपर विशेष बल दिया था.
अल-इस्सा के विचारों पर प्रतिक्रिया देत हुए इग्नू के प्रो. डॉ. मदन यादव ने कहा, नई विश्व व्यवस्था में यह दौर चुनौतियों और समस्याओं का है. यह सभी धार्मिक नेताओं के लिए सचेत होकर लोगों को एकदूसरे से जोड़ने का समय है, ताकि बेहतर समाज का निर्माण किया जा सके.
इस बारे में अपनी राज जाहिर करते हुए  डॉ. मनींद्र जैन, अध्यक्ष, दिगंबर जैन समाज ने कहा- विभिन्न लोगों के मत अलग होते हैं, लेकिन अंतर्धामिक संवाद के बारे में जो कहा है वह पूरे दुनिया भर की समस्याओं का एकमात्र समाधान है.स्वामी विजयामृत नंदायह ने कहा कि बातचीत काफी फलदायी रही है. असल में समस्याओं का समाधान बातचीत और संवाद ही है. 
संजय कुमार ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि डॉ. अल-ईस्सा का संदेश न सिर्फ भारतीय मुसलमानों और दुनियाभर के मुसलमानों के लिए अहम है, बल्कि यह हिंदुओं के लिए भी महत्वपूर्ण है.
इस खास मौके पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने कहा कि यह बहुत अच्छी पहल थी और डॉ. अल-ईस्सा ने वही कहा जो हमारे प्रधानमंत्री हमेशा कहते हैं- भारत अखंड है, श्रेष्ठ है. भारत की तरह और भी कई देश हैं जहां विभिन्न धर्म हैं लेकिन भारत पुरे विश्व में विविधता और एकता का एकमात्र श्रेष्ठ उदाहरण है जहां कोई भी धर्म खतरे में नहीं. जिससे सभी प्रेरणा लें रहें हैं.
 
 
वहीँ सिराजुद्दीन कुरैशी ने खास तौरपर कहा कि हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई यह सब बाद में होते हैं, इंसानियत का स्थान पहले आता है.
 
वहीँ हाजी सैयद सलमान चिश्ती, गद्दीनशीन, अजमेर शरीफ ने कहा कि "हम इस पहल का स्वागत करते है. इससे भारत एक बहुलवादी और गतिशील देश के रूप में उभरेगा और विश्वभर में शांति, सद्भाव और भाईचारे का संदेश जाएगा."
 
वहीँ ख्वाजा इफ्तिखार ने कहा कि मौजूदा दौर में अंतरधार्मिक सद्भाव पर बात बेहद जरूरी है इस लिहाज से यह सम्मलेन सफल है और हमें भारत और सऊदी अरब के बीच मौजूद उत्कृष्ट संबंधों पर गर्व है.
 
एसएम खान, मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेस सलाहकार ने कहा कि इस आयोजन का अंतिम परिणाम विभिन्न धर्मों और विभिन्न देशों के बीच एकता लाना है. भारत और सऊदी अरब करीब आए हैं.
 
 
कश्मीर के सोशल एक्टिविस्ट फारूक गंदरबल ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहां हिंदू और मुसलमान एक साथ सद्भाव से रहते हैं, कश्मीर में अमरनाथयात्रा सह-अस्तित्व का सबसे बड़ा उदाहरण है.
 
नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा कि "अब्दुल करीम की भारत यात्रा अपने आप में लोकतांत्रिक राष्ट्र में धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है".
 
हंसराज हंस, भाजपा सांसद ने कहा कि हमारे मज़हब ने भी अमन और सुकून का पैगाम दिया है, जिससे नफरत ख़त्म होगी और बस दिल में मोहब्बत ही बचेगी.