Efforts to spread unrest in the country in the name of survey of old mosques should be stopped immediately: Alhaj Muhammad Saeed Noori
मुंबई
संभल में शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में मुस्लिम युवकों की मौत पर रजा एकेडमी और जमीयत उलेमा ए अहले सुन्नत ने मुंबई में शुक्रवार की नमाज के बाद दुआ समारोह आयोजित किया.
इस दौरान कहा गया कि इससे मुस्लिम समुदाय में मस्जिदों, मदरसों और दरगाहों के प्रति और विश्वास पैदा होगा.
रजा एकेडमी के संस्थापक और अध्यक्ष काइद मिल्लत हाजी मुहम्मद सईद नूरी साहब ने कहा कि सदियों से स्थापित दरगाह सुल्तान-उल-हिंद न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी भारत की शान के रूप में देखा जाता है. जहां सभी धर्मों के लोग हाजिरी देते हैं और लगाव रखते हैं. अब 800 साल बाद कुछ शरारती तत्वों को यहां भी मंदिर बनाने का ख्याल आने लगा है.
उन्होंने आगे कहा कि कुछ छोटे वकील अपनी सस्ती प्रसिद्धि के लिए ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों को निशाना बना रहे हैं. यह लोग पब्लिसिटी पाने के लिए ऐसी नापाक हरकतों में शामिल हो रहे हैं लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि इस तरह के प्रयासों से उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा.
संभल कांड पर एक सवाल के जवाब में हजरत नूरी ने कहा कि जब 1991 का कानून यह कहता है कि जो इबादतगाहें हैं, वे वैसी की वैसी बनी रहेंगी, तो फिर सर्वे के नाम पर इनके साथ छेड़छाड़ क्यों की जा रही है और संविधान का उल्लंघन क्यों हो रहा है? मेरा मानना है कि इस तरह की नापाक हरकत करने वालों के खिलाफ कोर्ट को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
वहीं मुहम्मद सईद नूरी ने कहा कि उनकी कुर्बानियां हमेशा याद रखी जाएंगी. हम उनके परिवारों से संवेदना व्यक्त करते हैं और अल्लाह से दुआ करते हैं कि वह उन्हें ऊंचा दर्जा दे.
जमीयत उलेमा ए अहले सुन्नत मुंबई के उपाध्यक्ष शहजादा शेर मीलत मौलाना एजाज अहमद कश्मीरी ने कहा कि कुछ शरारती तत्वों ने देश के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने के लिए सर्वे का ठेका ले लिया है. वह पहले ज्ञानवापी मस्जिद, फिर शाही मस्जिद संभल, और अब दरगाह अजमेर शरीफ को भी निशाना बना रहे हैं. मेरा सवाल निचली अदालतों के जजों से है कि क्या आपके पास और कोई काम नहीं है कि आप फालतू याचिकाओं को स्वीकार कर देश में तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं? इन शरारती तत्वों को बढ़ावा देने से ही संभल का हालिया योजनाबद्ध दंगा हुआ है.
हजरत कश्मीरी ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने आस्था के नाम पर बाबरी मस्जिद को दे दिया, तब हमने सब्र से काम लिया लेकिन अब हमारी सहनशीलता की सीमा पार हो चुकी है. हम अब किसी भी मस्जिद और दरगाह को नहीं छोड़ सकते, चाहे हमें अपनी जान की कुर्बानी क्यों न देनी पड़े.