शिक्षा, मुसलमानों के लिए विकास का एकमात्र रास्ता: मौलाना बदरुद्दीन अजमल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 29-10-2023
Maulana Badruddin Ajmal with Ajmal Super 40 students who cleared NEET and JEE exams in 2022
Maulana Badruddin Ajmal with Ajmal Super 40 students who cleared NEET and JEE exams in 2022

 

दौलत रहमान / गुवाहाटी

संसद सदस्य और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने अपने हालिया बयान में कहा है कि जब अपराध करने की बात आती है, तो मुस्लिम एक खेदजनक आंकड़ा दर्शाते हैं, लेकिन अवैध गतिविधियों का मतलब पूरे समुदाय से नहीं है. आवाज-द वॉयस से बातचीत में अजमल ने कहा है कि हाल ही में पश्चिम असम के गोलपारा जिले के एक निजी कॉलेज, डालगोमा आंचलिक कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में वह शिक्षा के क्षेत्र में मुसलमानों की प्रगति और विकास के बारे में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि हालांकि असम के कई मुस्लिम छात्रों ने विभिन्न अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है, फिर भी यह संख्या निराशाजनक है.

मौलाना अजमल ने कहा, ‘‘100 मुस्लिम युवाओं में से केवल 20 प्रतिशत से भी कम छात्र अच्छी तरह से शिक्षित हैं. हमने अब तक कितने डॉक्टर और इंजीनियर तैयार किये हैं. इसलिए यह कठोर आत्मनिरीक्षण का समय है. हमें शिक्षा के क्षेत्र में बहुत सुधार करने की जरूरत है और यह हमें अपने दम पर करना होगा.’’ 
 
 
अजमल ने गोलपारा जिले के डालगोमा आंचलिक कॉलेज के पूर्व छात्रों की एक बैठक में कहा, ‘‘लूट, डकैती, बलात्कार जैसे अपराध - हम सभी में नंबर 1 हैं. जेल जाने में भी हम नंबर 1 हैं. हमारे बच्चों को स्कूल और कॉलेज जाने का समय नहीं मिलता, लेकिन जुआ खेलने, दूसरों को धोखा देने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है. ऐसी सभी गलत चीजों के लिए - पूछें कि इसमें कौन शामिल है? यह मुसलमान हैं. और यह दुखद है.’’
 
अजमल ने कहा ‘‘लोग चाँद और सूरज पर जा रहे हैं, और हम जेल कैसे जाएं, इस पर पीएचडी कर रहे हैं. एक पुलिस स्टेशन में चलें और आपको पता चल जाएगा कि पूर्ण बहुमत में कौन है - अब्दुर रहमान, अब्दुर रहीम, अब्दुल माजिद, बदरुद्दीन, सिराजुद्दीन, फकरुद्दीन... क्या यह दुखद बात नहीं है?
पिछले साल जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में देश में दोषी कैदियों के रूप में असम में मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक (60.5 प्रतिशत) थी. इसमें कहा गया है कि राज्य में जेल में बंद विचाराधीन कैदियों में से 49.3 प्रतिशत मुस्लिम थे.
2011 की जनगणना के अनुसार, असम में मुस्लिम आबादी कुल 3.12 करोड़ में से 1.07 करोड़ (34.22 प्रतिशत) है. कुल मिलाकर, भारत में मुस्लिम आबादी लगभग 17.22 करोड़ (14.2 प्रतिशत) हैं.
 
अजमल ने कॉलेज समारोह में अपने भाषण का अधिकांश हिस्सा अपने इस दावे पर केंद्रित किया कि मुस्लिम युवा भटक गए हैं और उनका उत्थान तर्कसंगत सोच और शिक्षा के माध्यम से किया जाना चाहिए. बदरुद्दीन अजमल ने प्रसिद्ध दारुल उलूम, देवबंद, उत्तर प्रदेश में अध्ययन किया, जहां से उन्होंने अरबी में एमए के बराबर, फजीलत की डिग्री प्राप्त की.
 
बता दें कि कई अन्य मुस्लिम राजनेताओं की तरह अजमल हिजाब या तीन तलाक जैसे मुद्दों पर नहीं बोलते हैं. इसके बजाय, उन्होंने असम भर में मुस्लिम महिलाओं के लिए आधुनिक शैक्षणिक संस्थानों की एक श्रृंखला स्थापित की है, ताकि उन्हें रूढ़िवादी परिस्थितियों में फंसी गृहिणियों की रूढ़िवादी छवि को सुधारने में मदद मिल सके.
 
भारत में बहुत कम प्रतिशत मुस्लिम लड़कियां उच्च शिक्षा के लिए स्कूल और कॉलेजों में जाती हैं और उत्तर-पूर्व भारत में स्थिति और भी खराब है. अजमल फाउंडेशन ने वर्ष 2006 में मरियम अजमल महिला कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के नाम से अपना पहला संस्थान स्थापित किया, जो पूरी तरह से एचएस (़2 स्तर) विज्ञान की पेशकश करने वाली लड़कियों की शिक्षा के लिए समर्पित था. 
 
बाद में, कॉलेज को वर्ष 2012 में डिग्री स्तर पर अपग्रेड कर दिया गया. छह साल बाद, कॉलेज को अपग्रेड किया गया और आज यह बीए और बीएससी दोनों में पाठ्यक्रम प्रदान करता है. अंग्रेजी, असमिया, शिक्षा, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, गणित, वनस्पति विज्ञान, प्राणीशास्त्र, रसायन विज्ञान और भौतिकी जैसे विषयों में. कॉलेज डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय से संबद्ध है.
 
अपने शिक्षा मिशन के बारे में पूछे जाने पर अजमल ने कहा कि अजमल फाउंडेशन द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थानों में बहुत कम संख्या में मुस्लिम छात्र आते हैं. अजमल ने कहा ‘‘हमारे विकास का एक ही रास्ता है - शिक्षा और केवल शिक्षा. एक समय था, जब हम शिक्षा के मामले में दुनिया में नंबर 1 थे, अब वैसा नहीं है.’’