लिव-इन में रहते हैं? सुरक्षा चाहते हैं? तो उत्तराखंड हाई कोर्ट का ये फैसला आपके लिए है

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 19-07-2024
Do you live in a live-in relationship? Want security? Then this decision of the Uttarakhand High Court is for you
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देहरादून: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए लिव-इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को अपना रिश्ता रजिस्टर्ड कराने का आदेश दिया है. यह फैसला उन लोगों के लिए एक बड़ा झटका है जो लिव-इन रिलेशनशिप को गैरकानूनी और गैर-मान्यता प्राप्त मानते थे.

उत्तराखंड देश में यूसीसी (समान नागरिक संहिता) लागू करने वाला पहला प्रदेश बन गया है। ऐसे में इसके अंदर शादी से लेकर जमीन-जायदाद में हिस्सेदारी और लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी नियम बनाए गए हैं. इस कानून में लिव-इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को लेकर यह कहा गया है कि वह ऐसी स्थिति में अपना पंजीकरण कराएं ताकि किसी भी विषम परिस्थिति में शासन-प्रशासन के द्वारा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

इसको लेकर खूब विरोध किया गया। इस कानून का विरोध करने वाले लोग पहले तो यह मान ही नहीं रहे थे कि लिव इन रिलेशन जैसी कोई चीज होती है और अगर होती भी है तो इसकी जानकारी शासन-प्रशासन को देना और इसको रजिस्टर्ड कराना राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है. क्योंकि किसी के साथ किसी के संबंधों की जानकारी निजी होती है ऐसे में इसे शासन-प्रसासन को मुहैया कराना राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है.

क्या है मामला?

इस मामले में, एक जोड़ा जो लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा था, उन्हें अपने परिवारों से धमकियां मिल रही थीं। उन्होंने हाई कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई. अदालत ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैसला सुनाया कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों को उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की धारा 378(1) के तहत अपना रिश्ता रजिस्टर्ड कराना होगा.

अदालत का तर्क

अदालत ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े भी कानून के तहत सुरक्षा के हकदार हैं. रजिस्ट्रेशन कराने से उन्हें अपने रिश्ते की वैधता साबित करने में मदद मिलेगी और उन्हें कानूनी तौर पर सुरक्षा मिल सकेगी.

यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?

यह फैसला लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों के लिए एक बड़ी राहत है। इससे उन्हें समाज में अधिक स्वीकृति और सम्मान मिलेगा। साथ ही, यह उन्हें कानूनी तौर पर सुरक्षा भी प्रदान करेगा.

उत्तराखंड हाई कोर्ट का यह फैसला लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भारत में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है. यह फैसला समाज में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर लोगों की सोच को बदलने में मदद कर सकता है.

 

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