प्रयागराज. उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी को भी विवादित ढांचे को मस्जिद नहीं बोलना चाहिए. हम जिस दिन मस्जिद बोलना बंद कर देंगे, उस दिन लोग जाना भी बंद कर देंगे. वैसे भी ये इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है कि कोई भी ऐसी जगह पर, जहां पर किसी की आस्था को ठेस पहुंचा कर वहां मस्जिद-नुमा ढांचा खड़ा कर दिया हो, ऐसे स्थान पर किसी तरह की होने वाली इबादत खुदा को मंजूर नहीं होती है.
मुख्यमंत्री यहां एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने आगे जोर दिया कि सनातन धर्म के विपरीत, इस्लाम में पूजा के लिए विशिष्ट संरचनाओं के निर्माण की आवश्यकता नहीं है. सनातन धर्म में मंदिर धार्मिक अभ्यास का केंद्र हैं.
आदित्यनाथ ने शाही जामा मस्जिद विवाद का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की. संभल में पिछले साल नवंबर में हिंसा भड़क गई थी. शाही जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर संभल में हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि संभल में इस्लाम के आगमन से बहुत पहले भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि का जन्मस्थान के बारे में भविष्यवाणी की गई थी
मुख्यमंत्री ने कहा कि आइन-ए-अकबरी जैसे ऐतिहासिक दस्तावेजों में एक मस्जिद के विध्वंस का उल्लेख है. उन्होंने 1526 में श्री हरि विष्णु मंदिर को जामा मस्जिद बनाने के लिए दे दिया था, और कहा था कि इस जगह को स्वेच्छा से वापस कर दिया जाना चाहिए.
उन्होंने आगे प्रस्ताव दिया कि शाही जामा मस्जिद जैसे धार्मिक स्थलों पर विवादों को न्यायपालिका को शामिल करने के बजाय आपसी सुलह के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. संभल में मुगल काल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद उस समय विवाद का केंद्र बन गई थी, जब एक स्थानीय अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दावा किया था कि यह एक मंदिर के ऊपर बनी है और पिछले साल नवंबर में सर्वेक्षण का आदेश दिया था. नवंबर में दूसरा सर्वेक्षण किया गया. 24 को हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें चार लोग मारे गए.