दिल्ली हाईकोर्ट ने आईएसआईएस की शपथ लेने वाले कथित आतंकी की याचिका की खाजिर, जमानत से इनकार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 12-01-2025
Delhi High Court rejects plea of ​​alleged terrorist who took oath of ISIS, denies bail
Delhi High Court rejects plea of ​​alleged terrorist who took oath of ISIS, denies bail

 

नई दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने आईएसआईएस के कथित कार्यकर्ता मोहम्मद हेदैतुल्लाह को जमानत देने से इनकार करने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है. मोहम्मद हेदैतुल्लाह पर आईएसआईएस विचारधारा को ऑनलाइन फैलाने, हिंदुओं के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा देने और आतंकवादी संगठन का समर्थन करने के लिए अपने खाते से धन हस्तांतरित करने का आरोप है.

जामिया से एमबीए स्नातक हेदैतुल्लाह पर आरोप है कि उसने 2018 में आईएसआईएस के लिए शपथ (बयाथ) ली और आईएसआईएस के बैनर तले भारत में शरिया कानून स्थापित करने की साजिश रची.

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और अमित शर्मा की खंडपीठ ने अपीलकर्ता को जमानत देने से इनकार करने वाले विशेष एनआईए अदालत द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया.

खंडपीठ ने कहा, ‘‘इन परिस्थितियों में, इस न्यायालय की राय है कि विवादित आदेश में किसी भी तरह के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है.’’ पीठ ने 10 जनवरी, 2025 को आदेश दिया, ‘‘उपर्युक्त के मद्देनजर, वर्तमान अपील को खारिज किया जाता है और तदनुसार निपटाया जाता है. यदि कोई लंबित आवेदन है, तो उसका भी निपटारा किया जाता है.’’

अपील को खारिज करते हुए, न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘वर्तमान मामले में जैसा कि पहले बताया गया है, अपीलकर्ता ने 2018 में अबू बकर अल बगदादी और अबू अल-हसन अल-हाशिमी अल-कुरैशी के नाम पर शपथ (बयाथ) ली थी. अबू बकर अल बगदादी निश्चित रूप से आईएसआईएस का एक प्रसिद्ध नेता है और आरोप पत्र के अनुसार उसने जून 2014 में ‘खिलाफत’ के गठन की घोषणा की थी.’’

उच्च न्यायालय ने व्हाट्सएप चैट पर भी ध्यान दिया, जिससे पता चलता है कि अपीलकर्ता आईएसआईएस में शामिल होने का इरादा रखता है. पीठ ने कहा, ‘‘आईएसआईएस को आतंकवादी संगठन घोषित किया गया है और इस तथ्य पर न्यायिक संज्ञान लिया जा सकता है कि दुनिया भर में आईएसआईएस की गतिविधियों के बारे में पता है. उपरोक्त चौट अपीलकर्ता के आईएसआईएस (दावला) में शामिल होने के इरादे को दर्शाती है और इसके लिए वह हिजरा (यात्रा) करने के लिए तैयार था.’’

पीठ ने कहा, ‘‘जैसा कि दर्ज किया गया है, चैट के दो सेटों में अपीलकर्ता ही अन्य व्यक्तियों से दावला तक पहुंचने का रास्ता खोजने के लिए कह रहा है, न कि इसके विपरीत जैसा कि अपीलकर्ता के विद्वान वरिष्ठ वकील ने दावा किया है. जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया है, अपीलकर्ता एक शिक्षित व्यक्ति है और आईएसआईएस की गतिविधियों की प्रकृति से अच्छी तरह वाकिफ है.’’

न्यायधीशों के अनुसार, ‘‘इसके अलावा, यह आतंकवादी संगठन को निष्क्रिय समर्थन का मामला नहीं है, बल्कि चैट, जैसा कि ऊपर बताया गया है, दिखाती है कि अपीलकर्ता खिलाफत (खिलाफत) स्थापित करने के लिए जिहाद की वकालत कर रहा था. ऐसा करके अपीलकर्ता इन ऑनलाइन समूहों पर व्यक्तियों को ऐसे कृत्यों के लिए भर्ती करने की कोशिश भी कर रहा था.’’

अपीलकर्ता मोहम्मद हेदैतुल्लाह ने एनआईए के विशेष न्यायाधीश द्वारा पीएस में दर्ज मामले में पारित 23 अगस्त, 2023 के आदेश को चुनौती दी थी. एनआईए के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) एडवोकेट राहुल त्यागी ने अपील का विरोध किया. अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों जैसे कि इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) द्वारा युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भारत और अन्य जगहों पर आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए साइबरस्पेस में अभियान चलाने के बारे में कुछ इनपुट प्राप्त हुए थे.

आरोप है कि कासिम सैनी उर्फ कासिम खुरासानी नाम का एक साइबर पहचान अपने सहयोगियों के साथ युवाओं को हिंसक जिहाद में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के इरादे से आईएसआईएस-केंद्रित प्रचार बनाने और प्रसारित करने में सक्रिय रूप से शामिल था. अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि अपीलकर्ता सह-आरोपी बासित कलाम सिद्दीकी का करीबी सहयोगी है और उसने जिहाद छेड़कर आईएसआईएस के झंडे तले भारत में शरिया कानून स्थापित करने की साजिश रची थी. आरोप है कि अपीलकर्ता साइबरस्पेस के माध्यम से आईएसआईएस विचारधारा का प्रसार कर रहा था और सोशल मीडिया पर हिंदुओं के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा देकर भारत सरकार के खिलाफ नफरत फैला रहा था.

यह भी आरोप है कि अपीलकर्ता ने अपने बैंक खाते से आईएसआईएस के लिए धन हस्तांतरित किया था. साथ ही, जांच के दौरान अपीलकर्ता से बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में विभिन्न आपत्तिजनक सामग्री पाई गई है.

अपीलकर्ता को एनआईए ने 22.10.2022 को गिरफ्तार किया था और यूएपीए की धारा 17, 18, 38, 39 और आईपीसी की धारा 120-बीध्153-ए और 153-बी के तहत दंडनीय अपराधों के लिए अप्रैल 2023 के दूसरे पूरक आरोपपत्र द्वारा आरोप-पत्र दायर किया था.

जांच से पता चला कि अपीलकर्ता कई आईएसआईएस समर्थक समूहों का सदस्य था. एक बार उन्हें टेलीग्राम ग्रुप वॉयस ऑफ अल-होल कैंप में टेलीग्राम आईडी श्नउउऋपउंतंश् से अल-होल कैंप के लिए कुछ पैसे दान करने से संबंधित एक संदेश मिला.