दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक्टिविस्ट नदीम खान को दिया अंतरिम संरक्षण

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-12-2024
 Nadeem Khan
Nadeem Khan

 

दिल्ली. दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार, 3 दिसंबर को कार्यकर्ता नदीम खान को 6 दिसंबर तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया, जिन पर कथित रूप से “शत्रुता को बढ़ावा देने” के लिए मामला दर्ज किया गया था, यह टिप्पणी करके कि राष्ट्र का सौहार्द इतना कमजोर नहीं है.

न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि राष्ट्र का सौहार्द “नाजुक” नहीं है और “विश्वास” आम आदमी की बुद्धिमत्ता पर होना चाहिए. जस्टिस सिंह ने कहा, “हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं. राष्ट्र का सौहार्द इतना कमजोर नहीं है. आम आदमी इतना कमजोर नहीं है कि सिर्फ एक प्रदर्शन से उसकी आस्था डगमगा जाए.”

जज ने आगे कहा, “देश को अपने मौलिक अधिकारों पर बहुत गर्व है. अनुच्छेद 19(1)(ए) की रक्षा की जानी चाहिए. अगर आपको लगता है कि आम आदमी इससे भड़क जाएगा, तो आम आदमी के पास यह समझने की बुद्धि नहीं है कि उसके लिए क्या सही है.. कृपया आम आदमी पर थोड़ा भरोसा रखें.”

खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए और उन्होंने तर्क दिया कि एफआईआर दुर्भावनापूर्ण है. उन्होंने कहा कि एफआईआर में किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं किया गया है और यह बिना किसी आधार के केवल अनुमान पर आधारित है.

पुलिस के वकील ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता “देश के अंदर युद्ध छेड़ने की कोशिश कर रहा है” और अगर उसे गिरफ्तारी से सुरक्षा चाहिए तो उसे अग्रिम जमानत याचिका दायर करनी चाहिए थी.

इसके बाद न्यायाधीश ने 30 नवंबर को दर्ज एफआईआर को रद्द करने की खान की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया और उनसे जांच में शामिल होने तथा जांच अधिकारी की अनुमति के बिना राष्ट्रीय राजधानी नहीं छोड़ने को कहा.

अदालत ने आदेश दिया तथा सुनवाई की अगली तारीख 6 दिसंबर तय की है. अदालत ने कहा, “एफआईआर शिकायतकर्ता की राय पर आधारित है. राय का आधार बनने वाली सामग्री मेरे सामने नहीं रखी गई है तथा इसे प्रतिवादी द्वारा दायर किए जाने वाले प्रस्तावित उत्तर तथा आज तक एकत्रित सामग्री के साथ रखा जाएगा. उक्त कारण से तथा सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा.”

पुलिस ने खान के खिलाफ एक “वायरल वीडियो” के आधार पर एफआईआर दर्ज की, जो कथित तौर पर दुश्मनी पैदा कर रहा था तथा कभी भी हिंसा का कारण बन सकता था.

हालांकि, अदालत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को “संरक्षित” किया जाना चाहिए तथा जांच एजेंसी को अगली सुनवाई तक खान को गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया.