दिल्ली चुनाव 2025 : क्या ताहिर हुसैन की एंट्री से मुस्तफाबाद में बदलेगा मुस्लिम वोटरों का रुख, जानें क्या हैं चुनौतियां

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-01-2025
Delhi Elections 2025: Will Tahir Hussain's entry change the attitude of Muslim voters in Mustafabad, know what are the challenges
Delhi Elections 2025: Will Tahir Hussain's entry change the attitude of Muslim voters in Mustafabad, know what are the challenges

 

नई दिल्ली. दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपी और मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से एआईएमआईएम के प्रत्याशी ताहिर हुसैन भी चुनाव प्रचार के रण में उतर चुके हैं. बुधवार को कस्टडी पैरोल मिलने के बाद ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद क्षेत्र में डोर-टू-डोर कैंपेन कर रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि ताहिर हुसैन की एंट्री से मुस्तफाबाद में मुस्लिम वोटरों का रुख किस और जाएगा और उनके सामने क्या चुनौतियां हैं.

दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन पांच साल बाद जेल से कस्टडी पैरोल पर बाहर आए हैं. कस्टडी पैरोल के अनुसार, ताहिर हर रोज सिर्फ 12 घंटे चुनावी सभा कर सकेंगे. कोर्ट ने कस्टडी पैरोल देते हुए कुछ चीजों पर प्रतिबंध भी लगाया है. जैसे कि वह अपने चुनाव कार्यालय में जा सकते हैं. मतदाताओं से मिल सकते हैं, लेकिन करावल नगर में अपने मूल स्थान पर नहीं जा सकते हैं. इसके अलावा, वह अपने खिलाफ मामलों के बारे में किसी से कुछ भी नहीं कह सकते हैं.

कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ही ताहिर ने अपना चुनावी कैंपेन शुरू किया है. न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए ताहिर हुसैन ने कहा था कि बिना केजरीवाल ब्रांड और मोदी ब्रांड के मुस्तफाबाद की जनता उनको जिताने का काम कर रही है.

दरअसल, दिल्ली दंगों के दौरान ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी में थे और वह उस समय पार्षद थे. दंगों में ताहिर का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी ने उन्हें तत्काल पार्टी से निकाल दिया. इसके बाद ताहिर को गिरफ्तार कर लिया गया.

ताहिर के जेल से निकलने से पहले मुस्तफाबाद सीट पर लड़ाई ‘आप’ और भाजपा के बीच मानी जा रही थी. लेकिन, ताहिर को कस्टडी पैरोल मिलने के बाद अब यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. आप ने यहां से आदिल अहमद को उतारा है, तो वहीं भाजपा ने मोहन सिंह बिष्ट पर दांव चला है,जबकि कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे अली अहमद पर भरोसा जताया है.

ताहिर के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह पांच साल तक जनता से दूर दिल्ली दंगों के आरोप में जेल में बंद रहे. हालांकि, यह इलाका वैसे तो कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, मगर यहां भाजपा और आप ने भी सेंध लगाने का काम किया है. इस बार यहां लड़ाई भी तगड़ी है और ताहिर आप और कांग्रेस के मुस्लिम वोटरों में सेंध लगाने का प्रयास करेंगे.

बता दें कि मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. ऐसे में यहां से हमेशा मुस्लिम प्रत्याशी के ही जीतने की संभावना बनी रहती है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 155706, महिला मतदाताओं की संख्या 133193, तीन थर्ड जेंडर समेत कुल मतदाताओं की संख्या 2,88,902 है. इसमें मुस्लिम वोटर 39.5 फीसद हैं.