नई दिल्ली. दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शनिवार को सीलमपुर निर्वाचन क्षेत्र के एक विधायक अब्दुल रहमान को वर्ष 2009 में एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक को आपराधिक रूप से डराने और मारपीट करने का दोषी ठहराया. वह आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक हैं.
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने शनिवार को दिए फैसले में विधायक अब्दुल रहमान और एक अन्य आरोपी आसमा को लोक सेवक को अपने कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला / आपराधिक बल प्रयोग और सामान्य इरादे से आपराधिक धमकी के तहत दोषी ठहराया.
कोर्ट ने कहा, ‘‘पूरे मामले, रिकॉर्ड पर रखे गए दस्तावेजों, पुलिस रिपोर्ट, अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही, आरोपी व्यक्तियों के बयान, दोनों पक्षों द्वारा दिए गए तर्कों और कानून के प्रावधानों और कानून के नियमों पर ध्यान से विचार करने के बाद, इस अदालत का मानना है कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी आसमा के खिलाफ उचित संदेह से परे अपने मामले को सफलतापूर्वक साबित कर दिया है कि उसने अपने कर्तव्यों के निर्वहन में एक लोक सेवक के व्यक्ति को साधारण चोट पहुंचाई थी.
न्यायालय ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने उचित संदेह से परे यह साबित किया है कि दोनों आरोपी व्यक्तियों यानी अब्दुल रहमान और आसमा ने अपने सामान्य इरादे को आगे बढ़ाते हुए, शिकायतकर्ता को आपराधिक रूप से धमकाया और उस पर हमला किया, जबकि वह लोक सेवक का पद संभाल रही थी और एक लोक सेवक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही थी.
अदालत ने आदेश में कहा कि तदनुसार, दोनों आरोपियों को धारा 353, 506 (पैरा द्वितीय) के तहत अपराधों के लिए धारा 34 आईपीसी के साथ पढ़ा जाता है और इसके अलावा, आरोपी आसमा को आईपीसी की धारा 332 के तहत अपराध के लिए अलग से दोषी ठहराया जाता है.
पुलिस के अनुसार, घटना के समय एक सरकारी कर्मचारी के रूप में शिक्षा निदेशालय के अधीन कार्यरत रजिया बेगम की शिकायत थी कि कथित घटना के दिन वह एक सरकारी स्कूल की प्रधानाचार्य के पद पर कार्यरत थीं. शिकायतकर्ता के अनुसार, 04.02.2009 को एसकेवी स्कूल, जाफराबाद, दिल्ली के प्रधानाध्यापक के रूप में कर्तव्यों का पालन करते हुए, उसे आरोपी आसमा द्वारा थप्पड़ मारा गया, जिससे शिकायतकर्ता को साधारण चोट लगी.
यह आगे आरोप लगाया गया कि सह-अभियुक्त अब्दुल रहमान कुछ अन्य व्यक्तियों के साथ, चोट पहुँचाने की तैयारी करने के बाद स्कूल में घुस गए. शिकायतकर्ता के अनुसार, आरोपी व्यक्तियों ने उसे जान से मारने की धमकी भी दी और उसका शील भंग करने के इरादे से उसके साथ दुर्व्यवहार भी किया.
मामले में कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी. चार्जशीट और संलग्न दस्तावेजों के आधार पर, अपराधों का संज्ञान लिया गया और अभियुक्तों को मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया गया. पक्षों को सुनने के बाद, आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 451, 323, 506, 509 और 34 के तहत अपराध का आरोप लगाया गया था, जिसके लिए उन्होंने दोषी नहीं होने की दलील दी.