नई दिल्ली. प्रख्यात धार्मिक विद्वान, प्रख्यात शोधकर्ता और लेखक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सम्मानित सदस्य मौलाना वासिफ हुसैन नदीम अल वाजदी का निधन इस्लामिया भारत राष्ट्र के लिए एक बड़ी क्षति है. ये विचार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद फजलुर रहीम मुज्जदी साहब ने अपने शोक वक्तव्य में व्यक्त किये.
मुज्जदी ने आगे कहा कि वह एक सुशिक्षित परिवार के सदस्य थे, बल्कि वह देवबंद के विद्वानों के सच्चे उत्तराधिकारी थे और उन्होंने ‘इमाम अबू हामिद मुहम्मद अल-गजाली’ नाम से एक व्यापारिक कंपनी भी स्थापित की. कड़ी मेहनत से उन्होंने इमाम अबू हामिद मुहम्मद अल-गजाली की प्रसिद्ध पुस्तक ‘अहिया उलूम अल-दीन’ का उर्दू अनुवाद चार खंडों में प्रकाशित किया, जो बेहद लोकप्रिय हुआ.
महासचिव ने आगे कहा कि मौलाना वाजिदी साहब सत्तर साल की उम्र तक जीवित रहे और उन्होंने अपना पूरा जीवन विद्वतापूर्ण कार्यों में बिताया, इसके साथ ही उन्होंने उर्दू में ‘तर्मन दारुल उलूम देवबंद’ नामक एक मासिक पत्रिका प्रकाशित की. जिस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. इसमें आपके लेख बहुत रुचि के साथ पढ़े गए. इसके अलावा, आपने चार दर्जन से अधिक पुस्तकों का संकलन किया और अल्हम्दुलिल्लाह वे सभी पुस्तकें बहुत लोकप्रिय हुईं. अल्लाह सर्वशक्तिमान उनकी सेवाओं को स्वीकार करें और उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के लिए अदृश्य से एक रास्ता बनाएं.
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