देवबंद. मदरसा दारुल उलूम में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध हटा दिया गया है. संस्था ने कहा कि अब वे कुछ नियमों के अधीन परिसर में प्रवेश कर सकेंगी. शुक्रवार को लागू हुए नियमों के अनुसार, महिलाओं को हिजाब पहनना होगा और परिसर में प्रवेश करने के लिए उन्हें परिवार के किसी सदस्य के साथ आना होगा.
इस इस्लामी शैक्षणिक संस्थान के प्रबंधन ने इस वर्ष की शुरुआत में परिसर के अंदर रील शूट किए जाने की शिकायतों पर महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था. अब प्रबंधन ने कहा कि वीडियोग्राफी पूरी तरह से प्रतिबंधित होगी और आगंतुकों को प्रवेश करने से पहले अपने फोन गेट पर जमा करने होंगे.
दारुल उलूम के मीडिया प्रभारी अशरफ उस्मानी ने शनिवार को कहा कि कई दौर की बातचीत के बाद प्रबंधन ने दुनिया भर से आने वाली महिलाओं के प्रवेश के लिए नियम जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि इसके बाद, महिलाएं दारुल उलूम परिसर में प्रवेश कर सकेंगी. उस्मानी ने बताया कि दारुल उलूम प्रबंधन ने विजिटर पास जारी करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया है, जो परिसर में प्रवेश के लिए पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए लागू होगा. विजिटर पास के लिए संबंधित अधिकारी को आधार कार्ड या वोटर आईडी या पैन कार्ड दिखाना होगा.
उन्होंने बताया कि विजिटर के नाम, मोबाइल नंबर, पते, प्रवेश चाहने वाले पुरुषों और महिलाओं की संख्या भी दर्ज की जाएगी. महिलाओं को हिजाब पहनना होगा और सूर्यास्त तक संस्थान में प्रवेश की अनुमति होगी. उस्मानी ने कहा कि मदरसे में आने वाले हर व्यक्ति का मोबाइल फोन मुख्य द्वार पर जमा कर दिया जाएगा, जो उनके जाने पर उन्हें वापस कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि विजिटर पास की वैधता दो घंटे की होगी और सूर्यास्त के बाद यह स्वतः ही रद्द हो जाएगा.
दारुल उलूम प्रबंधन प्रणाली ने 17 मई को महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि शिकायत थी कि बिना परदे वाली महिलाएं संस्थान की इमारतों की तस्वीरें और वीडियो बना रही थीं और उन्हें सोशल मीडिया पर साझा कर रही थीं. मीडिया प्रभारी के अनुसार, मदरसे की छात्राएं भी इससे प्रभावित हो रही थीं.