बेंगलुरु. कर्नाटक में कांग्रेस के जिस किसी वरिष्ठ नेता को स्पीकर पद की पेशकश की जा रही है, वह इस जिम्मेदारी को लेने से मना कर रहा है. सूत्रों का कहना है कि उन्हें इस कुर्सी से जुड़ी मनहूसियत का डर सता रहा है. कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष बनने वाले नेताओं को अगले चुनाव में हार मिली है और उनका राजनीतिक करियर पूरी तरह समाप्त हो गया है. पिछली भाजपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी भी चुनाव हार गए. उनकी हार ने पार्टी को झटका दिया और एक मजबूत नेता के रूप में उनकी ताकत पर सवाल खड़ा कर दिया.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2004 के बाद से जो भी इस प्रतिष्ठित पद पर बैठा, उसे अपने राजनीतिक करियर में गहरा झटका लगा है. के.आर. पेट सीट से कृष्णा जो एस.एम. कृष्णा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में 2004 में विधानसभा अध्यक्ष बने 2008 में चुनाव हार गए. इसके बाद 2013 में विधानसभा अध्यक्ष बनने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी कगोडू थिम्मप्पा 2018 में चुनाव हार गए. वर्ष 2016 में इस कुर्सी पर बैठने वाले पांच बार के विधायक के.बी. कोलीवाड भी 2018 में आम चुनाव हार गए और 2019 में उपचुनाव भी हार गए.
कांग्रेस-जद (एस) सरकार में 2018 में स्पीकर रहे रमेश कुमार 10 मई को हुए चुनाव में हार गए थे. कांग्रेस पार्टी को पद के लिए वरिष्ठों को मनाने में मुश्किल हो रही है. मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने घोषणा की थी कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आर.वी. देशपांडे सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा के तीन दिवसीय पहले सत्र में अस्थाई अध्यक्ष बनेंगे और सत्र के दौरान नए अध्यक्ष का चुनाव होगा.
कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि डॉ. जी. परमेश्वर ने सीधे-सीधे प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और उन्हें कैबिनेट मंत्री बना दिया गया. पार्टी टी.बी. जयचंद्र, एच.के. पाटिल, बी.आर. पाटिल और वाई.एन. गोपालकृष्ण जैसे वरिष्ठ नेताओं में से किसी एक को स्पीकर बनाने पर विचार कर रही है. हालांकि, उनमें से कोई भी इच्छुक नहीं है.
जयचंद्र, जो 2019 के उपचुनावों में अपनी सीट भाजपा से हार गए थे, इस बार विजयी हुए हैं. एच.के. पाटिल गदग से एक प्रमुख लिंगायत नेता हैं, और उन्हें कैबिनेट में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. बी.आर. पाटिल अलांद निर्वाचन क्षेत्र से हैं. पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर और भाजपा के वरिष्ठ नेता के.जी. बोपैया, जो कर्नाटक में भाजपा सरकार में स्पीकर थे, हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में हार गए, जिससे उनके राजनीतिक करियर को झटका लगा है.
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि जिन नेताओं को पद की पेशकश की जा रही है, वे कह रहे हैं कि वे अध्यक्ष बनने की बजाय विधायक बने रहना पसंद करेंगे. सूत्रों ने कहा कि कैबिनेट विस्तार में मंत्री पद की उम्मीद भी एक कारण है, लेकिन मुख्य रूप से यह मनहूसियत का डर है जो उन्हें स्पीकर की जिम्मेदारी लेने से रोक रहा है.