"Correct time to get involved in India's growth story": PM Modi at Asia-Pacific Conference
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में जर्मन बिजनेस 2024 के 18वें एशिया-पैसिफिक सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान भारत के विकास पर प्रकाश डाला और कहा, "यह भारत की विकास कहानी में शामिल होने का सही समय है."
पीएम मोदी ने दोनों देशों के बीच एक उपयोगी साझेदारी की संभावना पर जोर दिया और कहा, "जब भारत की गतिशीलता और जर्मनी की सटीकता मिलती है, जब जर्मनी की इंजीनियरिंग और भारत का नवाचार मिलता है और जब जर्मनी की तकनीक और भारत की प्रतिभा मिलती है, तो यह इंडो-पैसिफिक सहित दुनिया के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करता है." उन्होंने कहा, "आप सभी व्यवसाय की दुनिया में हैं और आपका मंत्र है 'जब हम मिलते हैं, तो हमारा मतलब व्यवसाय होता है."
भारत की संस्कृति और व्यंजनों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, "लेकिन भारत आना केवल व्यवसाय के लिए नहीं है. यदि आप भारत की संस्कृति, व्यंजनों और खरीदारी के लिए समय नहीं देते हैं, तो आप कई चीजों से चूक जाएंगे. मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आप खुश रहेंगे और घर वापस आकर आपका परिवार खुश रहेगा." प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में भारत के विकास स्तंभों को रेखांकित किया और एआई की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया, जिसका अर्थ है कृत्रिम बुद्धिमत्ता और 'आकांक्षी भारत', जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में वर्णित किया.
उन्होंने कहा, "भारत लोकतंत्र, जनसांख्यिकी, मांग और डेटा के चार मजबूत स्तंभों पर खड़ा है. प्रतिभा, प्रौद्योगिकी, नवाचार और बुनियादी ढांचा भारत के विकास के उपकरण हैं."
उन्होंने कहा, "इन सभी को आगे बढ़ाने के लिए भारत में एक मजबूत ताकत है- एआई आकांक्षी भारत और कृत्रिम बुद्धिमत्ता- यह दोहरी शक्ति भारत में है... भारत भविष्य की दुनिया की जरूरतों पर काम कर रहा है."
जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ 7वें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) के लिए दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत आए हैं, जो दोनों देशों के मंत्रियों की एक द्विवार्षिक बैठक है.
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने नई दिल्ली में 7 लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आधिकारिक आवास पर जर्मन चांसलर से मुलाकात की.
आईजीसी एक सम्पूर्ण सरकारी ढांचा है जिसके अंतर्गत दोनों पक्षों के मंत्री अपने-अपने जिम्मेदारी वाले क्षेत्रों में विचार-विमर्श करते हैं तथा अपने विचार-विमर्श के परिणामों की रिपोर्ट प्रधानमंत्री और चांसलर को देते हैं.