बाराबंकी. आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने दोनों दलों को ‘एक ही सिक्के के दो पहलू’बताते हुए आरोप लगाया कि इन पार्टियों ने पसमांदा मुस्लिम समाज को सिर्फ चुनावी मोहरा बनाया और सत्ता में हिस्सेदारी देने से हमेशा पीछे हट गए.
वसीम राईन ने कहा कि कुल मुस्लिम आबादी में 85 प्रतिशत पसमांदा मुसलमानों को कांग्रेस और सपा ने सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया. जब भी सत्ता, सदन और संगठन में भागीदारी की बात आई, तो इन दलों ने अपना रवैया बदल लिया और पसमांदा समाज को दरकिनार कर दिया.
उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने पसमांदा समाज के उत्थान के सिर्फ हवाई वादे किए. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने आर्टिकल 341 के तहत धार्मिक प्रतिबंधों के मुद्दे पर चुप्पी साधी और न तो राज्यसभा में प्रतिनिधित्व दिया और न ही संगठन में कोई ठोस जगह दी.
समाजवादी पार्टी (सपा) को भी कठघरे में खड़ा करते हुए राईन ने कहा कि सपा ने सिर्फ पसमांदा मुसलमानों का इस्तेमाल किया और झूठे वादों के सहारे वोट बटोरते रहे. उन्होंने कहा, ‘‘सत्ता की भूख में इन दलों ने पसमांदा समाज को सिर्फ मोहरा बनाया, लेकिन जब सत्ता और संगठन में भागीदारी देने की बात आई, तो इनकी आंखों पर पर्दा पड़ गया.’’
वसीम राईन ने कहा कि देश की तथाकथित सेक्युलर पार्टियों ने आजादी के बाद से ही पसमांदा मुस्लिम समाज का राजनीतिक शोषण किया. उन्होंने आरोप लगाया कि किसी भी सेक्युलर पार्टी ने पसमांदा आबादी के अनुपात में 10 प्रतिशत भी हिस्सेदारी नहीं दी.
इसके विपरीत, उन्होंने दावा किया कि बीजेपी, जिसे सेक्युलर पार्टियां कम्युनल (सांप्रदायिक) कहती हैं, उसने राष्ट्रीय संगठन, राज्यसभा, विधान परिषद, अल्पसंख्यक मोर्चा, अल्पसंख्यक आयोग, मदरसा बोर्ड और उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में पसमांदा मुसलमानों को बेहतर भागीदारी दी है.
राईन ने मांग की कि मुस्लिम और ईसाई समुदाय पर लगे धार्मिक प्रतिबंधों को हटाया जाए और उन्हें बिना किसी भेदभाव के समान अधिकार दिए जाएं. उन्होंने पसमांदा मुसलमानों से अपील की कि वे अब सेक्युलर पार्टियों के झूठे वादों में न फंसें और अपनी राजनीतिक जागरूकता बढ़ाएं.