नई दिल्ली. जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने देश में बढ़ती सांप्रदायिकता और मस्जिदों व दरगाहों पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता का जवाब सांप्रदायिकता से नहीं दिया जा सकता. बल्कि समाज में फैली गलतफहमियों का तर्कसंगत जवाब देना समय की जरूरत है. मौलाना मदनी ने मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे अपने आचरण से न केवल एकता स्थापित करें, बल्कि देशवासियों के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में प्रयास करें.
नई दिल्ली के मदनी हॉल में आयोजित जमीयत उलमा-ए-हिंद की कार्यकारिणी समिति की बैठक की अध्यक्षता मौलाना मदनी ने की. मौलाना मदनी ने कहा कि देश की मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक है. नफरत के बढ़ते हुए माहौल ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था के लिए खतरा पैदा किया है, बल्कि सामाजिक सौहार्द को भी गंभीर नुकसान पहुंचाया है. इसके अलावा, मीडिया की तरफ से लगाए जा रहे इल्जामों ने आग में घी डालने का काम किया है. उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें व्यवस्थित तरीके से काम करना होगा ताकि न केवल इन खतरों का सामना किया जा सके, बल्कि अपने बुनियादी संवैधानिक अधिकारों की भी प्रभावी ढंग से रक्षा की जा सके.
बैठक में देश की सांप्रदायिक स्थिति, मस्जिदों और वक्फ संपत्तियों पर हो रहे हमलों, पूजास्थल अधिनियम और वक्फ संशोधन विधेयक जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. इसमें दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी समेत देशभर से आए सदस्यों ने भाग लिया. समिति ने खासतौर पर संभल में हुई घटना और देश के अन्य हिस्सों में मस्जिदों और दरगाहों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर चिंता जताई.
जमीयत ने सरकार से मांग की कि वह इन मामलों पर कड़ा रुख अपनाए, ताकि संभल जैसी घटनाएं दोबारा न हों. संगठन ने यह भी कहा कि वह इन मुद्दों को अदालत में पूरी ताकत से उठाएगी. वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संगठन ने अपने प्रयासों की समीक्षा की और सभी राज्य इकाइयों को निर्देश दिया कि मस्जिदों और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाएं.
बैठक में इस्लामी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई प्रस्ताव पारित किए गए. इनमें इस्लामी माहौल में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल, मदरसों में कोचिंग सेंटर की स्थापना और धार्मिक विषयों को शामिल करने पर जोर दिया गया. समिति ने फरवरी 2025 में ष्संयुक्त राष्ट्रीयताष् विषय पर एक सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया. इसका उद्देश्य यह दिखाना है कि मुसलमान राष्ट्र निर्माण और एकता में अहम भूमिका निभाते रहे हैं.