अजमेर. ‘नए मंदिर मुद्दे न उठाने’ की सलाह देने के लिए आरएसएस प्रमुख की प्रशंसा करते हुए अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने शनिवार को कहा कि अगर लोग मोहन भागवत की कही बातों को अपनाएंगे तो देश एकजुट होगा और विकसित होगा.
अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख ने कहा, ‘‘आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान सही है... 2022 में भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बयान दिया था कि हमें हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग नहीं ढूंढना चाहिए... हमें आरएसएस प्रमुख की कही बातों को अपनाना चाहिए, यह सराहनीय है. अगर हम इसे अपनाएंगे, तो हम दुनिया के सामने एकजुट होंगे और हमारा देश विकसित होगा.’’
20 दिसंबर को, आरएसएस प्रमुख ने देश में एकता और सद्भाव का आग्रह किया, इस बात पर जोर देते हुए कि दुश्मनी पैदा करने के लिए विभाजनकारी मुद्दों को नहीं उठाया जाना चाहिए, यहां तक कि उन्होंने हिंदू भक्ति के प्रतीक के रूप में अयोध्या में राम मंदिर के महत्व पर भी प्रकाश डाला. हाल ही में, संभल में जामा मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण को लेकर प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों के परिणामस्वरूप नवंबर में चार मौतें हुईं और राजस्थान की एक अदालत ने हिंदू सेना द्वारा अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान शिव का मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को भी स्वीकार कर लिया. दोनों ही घटनाक्रमों ने धार्मिक स्थलों को लेकर सांप्रदायिक तनाव और संघर्ष बढ़ने की संभावना के बारे में चिंता जताई है.
गुरुवार को पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन पर बोलते हुए, भागवत ने कहा, ‘‘भक्ति के सवाल पर आते हैं. वहां राम मंदिर होना चाहिए, और वास्तव में ऐसा हुआ है. यह हिंदुओं की भक्ति का स्थल है.’’ हालांकि, उन्होंने विभाजन पैदा करने के खिलाफ चेतावनी दी और कहा, ‘‘लेकिन हर दिन तिरस्कार और दुश्मनी के लिए नए मुद्दे नहीं उठाए जाने चाहिए. इसका समाधान क्या है? हमें दुनिया को दिखाना चाहिए कि हम सद्भाव से रह सकते हैं, इसलिए हमें अपने देश में थोड़ा प्रयोग करना चाहिए.’’
भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए भागवत ने कहा, ‘‘हमारे देश में विभिन्न संप्रदायों और समुदायों की विचारधाराएँ हैं.’’ भागवत ने हिंदू धर्म को एक सनातन धर्म बताते हुए कहा कि इस सनातन और सनातन धर्म के आचार्य ‘सेवा धर्म’ या मानवता के धर्म का पालन करते हैं. श्रोताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने सेवा को सनातन धर्म का सार बताया, जो धार्मिक और सामाजिक सीमाओं से परे है. उन्होंने लोगों से सेवा को पहचान के लिए नहीं बल्कि समाज को कुछ देने की शुद्ध इच्छा के लिए अपनाने का आग्रह किया. हिंदू आध्यात्मिक सेवा संस्था द्वारा आयोजित हिंदू सेवा महोत्सव पुणे में शिक्षण प्रसारक मंडली के कॉलेज ग्राउंड में आयोजित किया जा रहा है और यह 22 दिसंबर तक चलेगा.