चंबा.चंबा जिला न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां की गंगा-जमुनी तहजीब भी इसे पूरे देश में एक अलग पहचान दिलाती है. यहां हर धर्म के लोग मिल-जुलकर त्योहार मनाते हैं और सामाजिक सरोकारों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं. इसी कड़ी में अब मुस्लिम समाज भी बेसहारा गोवंश की देखभाल के लिए आगे आ रहा है.
चंबा जिले के सलूणी उपमंडल के मंजीर गांव में स्थापित गोसदन के संचालन को बेहतर बनाने के लिए तीसा के खुशनगरी निवासी बट्ट परिवार ने पहल की है. प्रदेश मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बट्ट ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स के चेयरमैन परवेज अली बट्ट ने मंजीर गोसदन के एक गोवंश को गोद लिया है. यही नहीं, सर्दियों में गोवंश को ठंड से बचाने के लिए उन्होंने गोसदन भवन के चारों ओर तिरपाल लगाने के लिए 31,000 रुपये भी दान किए हैं.
परवेज अली बट्ट का कहना है कि गोवंश का हिंदू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व है, लेकिन यह केवल आस्था का विषय नहीं बल्कि मानवीय संवेदना से भी जुड़ा मामला है. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि कुछ लोग अपना स्वार्थ पूरा करने के बाद पशुओं को सड़कों पर छोड़ देते हैं, जो कि समाज के लिए चिंता का विषय है.
परवेज अली बट्ट ने कहा कि धर्म कोई भी हो, उसकी मूल भावना मानवता की सेवा करना ही है. उन्होंने अपील की कि जो लोग साधन-संपन्न हैं, वे आगे आकर लावारिस गोवंश की देखभाल की जिम्मेदारी उठाएं. उन्होंने अन्य लोगों से भी मंजीर स्थित गोसदन के एक-एक गोवंश को गोद लेने का अनुरोध किया है.
बता दें कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने मंजीर में करोड़ों रुपये की लागत से एक आधुनिक गोसदन बनाया है, जहां लगभग 200 बेसहारा गोवंशों के रखरखाव की व्यवस्था है. इस गोसदन की देखभाल का जिम्मा राष्ट्रीय गैर-सरकारी संस्था सर्वोदय ह्यूमन एंड नेचर डेवलपमेंट को दिया गया है. हालांकि, सरकार प्रति गोवंश 700 रुपये प्रति माह सहायता प्रदान करती है, लेकिन यह राशि पशुओं के खान-पान और अन्य जरूरतों के लिए अपर्याप्त साबित हो रही है. इसी कारण संस्था ने ‘एक परिवार, एक गाय’ अडॉप्शन अभियान शुरू किया है, जिसके तहत समाज के संपन्न लोगों से गोवंश को गोद लेने की अपील की जा रही है.
परवेज अली बट्ट बने पहले दानदाता
इस पहल के तहत, संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन कुमार और महासचिव अजय कुमार जब बट्ट नर्सिंग कॉलेज, बोंखरी मोड़ पहुंचे, तो उन्होंने परवेज अली बट्ट से सहयोग की अपील की. परवेज अली बट्ट ने तुरंत एक गोवंश को गोद लेने की घोषणा की और 31,000 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी. उन्होंने गोसदन के संचालन के लिए आगे भी हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया.
पहले भी हिंदू पर्वों में देते रहे हैं सहयोग
यह पहली बार नहीं है, जब परवेज अली बट्ट ने सामाजिक सौहार्द की मिसाल पेश की हो. वह हर वर्ष बनीखेत में आयोजित श्रीराम लीला के लिए आर्थिक सहायता देते रहे हैं और विभिन्न हिंदू पर्वों में भी योगदान देते हैं.
सभी धर्मों की सेवा ही सच्ची मानवता
गोसदन संचालकों ने परवेज अली बट्ट के इस योगदान पर आभार जताया और उम्मीद जताई कि उनके इस कदम से अन्य लोग भी प्रेरित होंगे. परवेज अली बट्ट का कहना है कि हम सभी को जाति और धर्म से ऊपर उठकर जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि यही असली इंसानियत है.
उनके इस कदम से न केवल हिंदू-मुस्लिम एकता को बल मिला है, बल्कि यह भी साबित हुआ है कि इंसानियत और करुणा किसी धर्म की सीमाओं में नहीं बंधी होती.