आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
मणिपुर के कई मैतेई नागरिक समाज संगठनों के एक समूह सीओसीओएमआई ने मंगलवार को आरोप लगाया कि जम्मू-कश्मीर और मणिपुर में आतंकवादी हमलों पर केंद्र की प्रतिक्रिया अलग-अलग है, जो उसके “पूर्वाग्रह” को दर्शाती है.
सीओसीओएमआई के संयोजक अथौबा खुरैजम ने दावा किया कि कश्मीर के मामले में सरकार आतंकवादी समूहों को दुश्मनों की तरह मानती है, जबकि ऐसा लगता है कि वह मणिपुर में आतंकवादियों के साथ दोस्ताना व्यवहार कर रही है. कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटक स्थल पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर देश के विभिन्न भागों से आये पर्यटक थे. भारत ने आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को निशाना बनाते हुए कई कदम उठाए हैं, जिसमें पड़ोसी देश के साथ सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल है.
खुरैजम ने संवाददाताओं से कहा, "जब कश्मीर और इसी तरह के क्षेत्रों की बात आती है, तो सरकार आतंकवादी समूहों को तत्काल दुश्मन मानती है और आक्रामक कार्रवाई करते हुए जवाब देती है. इसके विपरीत, म्यांमा से पूर्वोत्तर राज्यों में घुसपैठ करने वाले आतंकवादी समूहों से निपटने के दौरान केंद्र सरकार उनके साथ दोस्ताना और आत्मसंतुष्ट व्यवहार करती है."
उन्होंने कहा, "केंद्रीय नेताओं द्वारा पूर्वोत्तर के लोगों के प्रति इस प्रकार का पक्षपातपूर्ण व्यवहार लंबे समय से गंभीर चिंता का विषय रहा है." मणिपुर में मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 260 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों बेघर हो गए. सरकार ने पड़ोसी म्यांमा से आए अवैध प्रवासियों को इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार ठहराया है। राज्य में फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है.