नई दिल्ली. दिल्ली राज्य हज समिति की अध्यक्ष और भाजपा नेता कौसर जहां ने सोमवार को विपक्षी दलों से आग्रह किया कि वे केवल राजनीतिक कारणों से वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध न करें. उनकी यह टिप्पणी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी द्वारा विधेयक के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के आह्वान के बाद आई है.
कौसर जहां ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि वे वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध न करें, अन्यथा इतिहास में मुसलमानों की बेहतरी के प्रयासों का विरोध करने वालों के रूप में जाने जाने का जोखिम उठाएंगे.
कौसर ने एएनआई से कहा, ‘‘मैं विपक्षी दलों से कहना चाहूंगी कि कृपया केवल विरोध और विपक्ष की राजनीति के लिए विरोध न करें... ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब इतिहास लिखा जाए, तो यह दर्ज हो कि ओवैसी साहब की पार्टी, तृणमूल कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने मुसलमानों की बेहतरी के लिए उठाए जा रहे कदमों का विरोध किया.’’
उन्होंने किसी भी बोर्ड के संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, ‘‘ओवैसी साहब जेपीसी के सदस्य हैं और वे केवल ऐसे बयान दे रहे हैं. क्या उन्हें संविधान में कोई विश्वास नहीं है?...वक्फ का सुधार तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए. अभी बहुत भ्रष्टाचार है. कोई भी बोर्ड तब अधिक प्रभावी होता है जब उसके संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही होती है.’’
1 सितंबर को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 की आलोचना की और सोमवार को तेलंगाना में एक विरोध सभा में देशव्यापी विरोध का आह्वान किया. एआईएमआईएम प्रमुख ने रविवार को कहा, ‘‘हम आज यहां ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से मोदी सरकार द्वारा लाए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के कारण एकत्र हुए हैं. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने और लोगों को जागरूक करने का फैसला किया है कि यह विधेयक किस तरह संविधान के खिलाफ है.’’
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करने का प्रावधान करता है.
इसमें स्पष्ट रूप से ‘वक्फ’ को किसी भी व्यक्ति द्वारा कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने और ऐसी संपत्ति का स्वामित्व रखने वाले वक्फ के रूप में परिभाषित करने और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि वक्फ-अल-औलाद के निर्माण से महिलाओं को विरासत के अधिकारों से वंचित नहीं किया जाएगा.
बिल में बोर्ड की शक्तियों से संबंधित धारा 40 को हटाने का प्रयास किया गया है, जिसमें यह तय करने की शक्ति है कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं, मुतवल्लियों द्वारा अपनी गतिविधियों पर बेहतर नियंत्रण के लिए केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से बोर्ड को वक्फ के खाते दाखिल करने का प्रावधान है, दो सदस्यों के साथ न्यायाधिकरण संरचना में सुधार, और आदेशों के खिलाफ अपील का प्रावधान है. इस विधेयक में बोहरा और अघाखानियों के लिए अलग से औकाफ बोर्ड बनाने का प्रावधान है.
सरकार ने संसद के बजट सत्र में विधेयक पेश किया था और इस विधेयक को आगे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का फैसला किया गया था. 30 अगस्त को सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में जेपीसी की दूसरी बैठक संसद भवन एनेक्सी में हुई थी. समिति ने ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा, मुंबई, दिल्ली स्थित इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ को अपने विचार दर्ज कराने के लिए बुलाया था.
सूत्रों के अनुसार मुस्लिम संगठनों ने विधेयक के कई ऐसे प्रावधानों की ओर इशारा किया, जो मुसलमानों के लिए चिंता का विषय हैं. सूत्रों ने बताया कि बैठक में 'उपयोगकर्ताओं द्वारा वक्फ' मुद्दा गरमागरम चर्चा का मुख्य मुद्दा रहा. मुस्लिम पक्ष ने अपनी चिंता जताई और कहा कि यह धार्मिक आस्था और व्यवहार का मामला है. इसलिए सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. लोकसभा सचिवालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, जेपीसी ने जनता, गैर सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों, हितधारकों और संस्थानों से भी विचार और सुझाव आमंत्रित किए हैं.