आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
बांग्लादेश में तबलीगी जमात के अमीर मौलाना साद के देश में आगमन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है.मंगलवार, 5 नवम्बर को राजधानी ढाका के सुहरावर्दी उद्यान में आयोजित इस्लामिक कॉन्फ्रेंस में तबलीगी जमात के एक समूह ने चेतावनी दी कि यदि मौलाना साद और उनके अनुयायियों कोभारत सेबांग्लादेश में प्रवेश की अनुमति दी जाती है, तो यह अंतरिम सरकार के लिए संकट पैदा कर सकता है.
बांग्लादेश नेजाम इस्लाम पार्टी के केंद्रीय संयुक्त महासचिव मौलाना अजीजुल हक इस्लामाबादी ने कहा कि साद और उनके अनुयायी आगामी विश्व इज्तेमा में अराजकता फैलाने की साजिश कर रहे हैं.उन्होंने कहा, "हम किसी भी हालत में उनकी साजिशों को सफल नहीं होने देंगे.हम सरकार से अपील करते हैं कि वे उलमा केराम द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें, ताकि स्थिति बिगड़े नहीं."
मौलाना अजीजुल हक ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, "अगर मौलाना साद को अनुमति दी गई, तो हमें यह स्पष्ट रूप से कहना होगा कि सरकार को देश छोड़ना पड़ सकता है." इसके साथ ही, मौलाना अब्दुल हामिद (पीर मधुपुर) ने भी कहा कि यदि सरकार धार्मिक विद्वानों के सुझावों का पालन नहीं करती, तो स्थिति अत्यधिक भयावह हो सकती है.उन्होंने सरकार से अपील की कि वह धार्मिक नेताओं के साथ परामर्श करे और उनके निर्देशों का पालन करे, वरना पिछली सरकार की तरह उसे भी बांग्लादेश छोड़ना पड़ सकता है.
इस बीच, बांग्लादेश सरकार ने 2025 में होने वाले बिश्वा इज्तेमा के आयोजन को लेकर निर्णय लिया है.गृह मंत्रालय ने सोमवार को बैठक में घोषणा की कि यह विशाल इस्लामिक समागम दो चरणों में आयोजित किया जाएगा.पहला चरण 31 जनवरी से 2 फरवरी तक ढाका के टोंगी स्थित तुराग नदी के किनारे आयोजित किया जाएगा, जबकि दूसरा चरण 7 से 9 फरवरी तक होगा.
गृह मंत्रालय के सलाहकार मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने बताया कि इस बैठक में केवल एक समूह ने भाग लिया, जो मौलाना साद के नेतृत्व में कार्यरत था.उन्होंने कहा कि दूसरे समूह के साथ चर्चा बाद में की जाएगी.ज्ञात हो कि 2019 के बाद से मौलाना साद और मौलाना जुबैरुल हसन के अनुयायी अलग-अलग इज्तेमा आयोजित कर रहे हैं. जहां जुबैर का समूह आमतौर पर पहले चरण का आयोजन करता है, जबकि साद का गुट दूसरे चरण में हिस्सा लेता है.
इस बार, साद गुट ने पहले चरण में भाग लेने की कोशिश की है, जबकि जुबैर समूह की उपेक्षा को लेकर तनाव पैदा हो गया है.मुफ़्ती मुअज़ बिन नूर, जो साद गुट का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने कहा कि उन्हें हमेशा पहले चरण से बाहर रखा गया था, लेकिन इस बार वे इसे सुरक्षित करने का प्रयास करेंगे.
इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने वाले जुबैर समूह के प्रतिनिधियों का कहना है कि वे विदेश में हैं और उनकी वापसी के बाद सरकार से चर्चा की जाएगी.फिलहाल, बांग्लादेश सरकार की स्थिति यह है कि सभी धार्मिक नेताओं से विचार-विमर्श के बाद ही किसी समूह को इज्तेमा के पहले या दूसरे चरण का आयोजन करने की अनुमति दी जाएगी.बता दें कि मौलाना साद के नेतृत्व वाले तब्लीगी जमात का मुख्यालय नई दिल्ली के निजामुददीन में स्थित है.