अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का 69 वर्ष की आयु में निधन

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 01-11-2024
Bibek Debroy, economist and chairman of Prime Minister Modi's Economic Advisory Council, dies at the age of 69
Bibek Debroy, economist and chairman of Prime Minister Modi's Economic Advisory Council, dies at the age of 69

 

नई दिल्ली

प्रमुख अर्थशास्त्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय का शुक्रवार को 69वर्ष की आयु में निधन हो गया.उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया और देश की आर्थिक नीतियों को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर देबरॉय के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा, "बिबेक देबरॉय जी एक महान विद्वान थे, जिन्होंने अर्थशास्त्र, इतिहास, संस्कृति, राजनीति, अध्यात्म और अन्य क्षेत्रों में गहरी जानकारी रखी.उनके कार्यों ने भारत के बौद्धिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने सार्वजनिक नीति में योगदान के अलावा, प्राचीन ग्रंथों पर काम किया और उन्हें युवाओं के लिए सुलभ बनाने में आनंद लिया."

पद्म श्री से सम्मानित देबरॉय ने पुणे के गोखले इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स के चांसलर के रूप में कार्य किया और 5जून, 2019तक नीति आयोग के सदस्य रहे.उन्होंने कई पुस्तकें और लेख लिखीं और विभिन्न समाचार पत्रों के संपादक के रूप में भी योगदान दिया.

मैक्रोइकॉनॉमिक्स और सार्वजनिक वित्त में विशेषज्ञता रखने वाले देबरॉय ने आर्थिक सुधार, शासन और रेलवे जैसे मुद्दों पर व्यापक लेखन किया.उन्हें महाभारत और भगवद गीता जैसे शास्त्रीय संस्कृत ग्रंथों के अनुवाद के लिए भी जाना जाता था.उन्होंने 1979 से 1984 तक कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अपने शैक्षणिक करियर की शुरुआत की और फिर पुणे में गोखले संस्थान में शामिल हुए, जहां उन्होंने 1987 तक कार्य किया.इसके बाद, उन्होंने 1993 तक दिल्ली में विदेश व्यापार संस्थान में काम किया.

1993 में, वे वित्त मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की कानूनी सुधार परियोजना के निदेशक बने, यह भूमिका उन्होंने 1998 तक निभाई. इसके बाद, उन्होंने 1994 से 1995 तक आर्थिक मामलों के विभाग में, 1995 से 1996 तक राष्ट्रीय अनुप्रयुक्त आर्थिक अनुसंधान परिषद में और 1997 से 2005 तक राजीव गांधी समकालीन अध्ययन संस्थान में कार्य किया.बाद में, उन्होंने 2006 तक पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के साथ भी काम किया.