इंदौर. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने गुरुवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को विवादित धार के भोजशाला परिसर मामले में 15 जुलाई तक अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
हिंदुओं के लिए, भोजशाला परिसर देवी वाग्देवी (सरस्वती) को समर्पित एक मंदिर है, जबकि मुसलमानों के लिए यह कमाल मौला मस्जिद हैं. 2003 में एक व्यवस्था के अनुसार, हिंदू मंगलवार को सूर्योदय से सूर्यास्त तक परिसर में पूजा करते हैं, जबकि मुसलमान शुक्रवार को दोपहर 1 बजे से 3 बजे तक नमाज अदा करते हैं.
एएसआई ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के आदेश के बाद 22 मार्च को आदिवासी बहुल धार जिले में स्थित भोजशालाध्कमल मौला मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण शुरू किया.
11 मार्च के आदेश में, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने एएसआई को एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया था, जो ‘नवीनतम तरीकों और तकनीकों को अपनाकर वैज्ञानिक जांच, सर्वेक्षण और उत्खनन पूरा करेगी’ और छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. 29 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई के दौरान, एएसआई ने सर्वेक्षण के लिए और समय मांगा. अदालत ने सर्वेक्षण के लिए एएसआई को 29 अप्रैल से आठ सप्ताह का समय दिया. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 11 मार्च के आदेश का पालन करने के लिए और समय नहीं दिया जाना चाहिए.
कोर्ट ने एएसआई टीम को 2 जुलाई 2024 को या उससे पहले पूरी विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था. मामले की अगली सुनवाई आज 4 जुलाई को निर्धारित की गई थी. गुरुवार को सुनवाई के दौरान एएसआई ने रिपोर्ट पेश करने के लिए चार सप्ताह का और समय मांगा, लेकिन कोर्ट ने उन्हें 15 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया. मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को निर्धारित की गई है.
हिंदू पक्ष के वकील श्रीश दुबे ने बताया कि धार के भोजशाला मुद्दे के संबंध में आज मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई निर्धारित थी. इससे पहले अप्रैल में कोर्ट ने एएसआई को 2 जुलाई तक अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था, जिस पर एएसआई ने चार सप्ताह का और समय मांगा था.ष् दुबे ने आगे बताया कि गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एएसआई को 15 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए हैं और मामले की अगली सुनवाई 22 जुलाई को तय की गई है. इसके अलावा एएसआई ने कोर्ट से अनुरोध किया कि रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में पेश की जाए और कोर्ट संबंधित पक्षों को रिपोर्ट दे. जिस पर कोर्ट ने निर्देश दिए कि सभी संबंधित पक्ष इस बात का ध्यान रखें कि रिपोर्ट पर अपनी टिप्पणी न करें, कोर्ट रिपोर्ट पर अपना फैसला सुनाएगा.
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