बाराबंकी. यहां हिंदू-मुस्लिम की साझा संस्कृति की एक अनूठी मिसाल सामने आई है. लखनऊ से सटे गोमती नदी के किनारे स्थित श्री वजरंग गढ़ी मंझार के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार डॉ. सैयद रिजवान अहमद ने करवाया है. ग्राम प्रधान सतीश कुमार के अनुसार, डॉ. रिजवान की गांव में जमीनें हैं.
भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिजवान ने जर्जर अवस्था में पड़े इस प्राचीन मंदिर को देखा. मंदिर प्रबंधन से सहमति मिलने के बाद दिसंबर में उन्होंने सुंदरीकरण का काम शुरू करवाया. मात्र तीन महीने में मंदिर और उसके परिसर का कायाकल्प कर दिया गया.
मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान एक रहस्यमयी घटना भी घटी. ग्राम प्रधान और अन्य ग्रामीणों के अनुसार, मूर्ति काफी नीचे थी, जिससे चबूतरा और सीढ़ी बनाने में कठिनाई हो रही थी. अगली रात मूर्ति अपने आप करीब डेढ़ फीट ऊपर उठ गई.
डॉ. रिजवान मंगलवार को मंदिर प्रांगण में मेले का आयोजन करा रहे हैं. साथ ही वृहद स्तर पर पौधरोपण की भी योजना है. उनका कहना है कि यह प्रयास धर्म के नाम पर बढ़ती दूरियों को समाप्त करने और साझा संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए किया गया है.
मंदिर तक पहुंचने के लिए दो प्रवेश द्वार बन रहे हैं. एक द्वार बेंगलुरु के सरन परिवार द्वारा बनवाया गया है, जबकि दूसरा लखनऊ निवासी डॉ. दिव्या का परिवार बनवा रहा है. इस पौराणिक मान्यता वाले मंदिर में बाराबंकी और लखनऊ के श्रद्धालु रोजाना पूजा करने आते हैं.