आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा, जिसे हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) से प्रत्यर्पित किया गया था, को सोमवार को एक विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत में पेश किया गया. एनआईए के अनुसार, उसे न्यायाधीश चंदर जीत सिंह के समक्ष पेश किया जा रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन के नेतृत्व में केंद्रीय जांच एजेंसी की कानूनी टीम अदालत कक्ष में मौजूद थी.
अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि यह मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के अधिकारियों द्वारा दिल्ली में एनआईए कार्यालय में 26/11 हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा से पूछताछ के बाद आया है. मुंबई पुलिस अधिकारियों के अनुसार, राणा से बुधवार को आठ घंटे तक पूछताछ की गई, जिसके दौरान उसने टालमटोल वाले जवाब दिए और सहयोग नहीं किया. आतंकवाद के आरोपी पाकिस्तानी-कनाडाई तहव्वुर हुसैन राणा एक पूर्व सैन्य चिकित्सक हैं, जिनका आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में शामिल होने का कथित इतिहास है. उन्हें हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया था.
इससे पहले, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने तहव्वुर राणा की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसने अपने परिवार से फोन पर बात करने की अनुमति मांगी थी. विशेष एनआईए जज चंदर जीत सिंह ने गुरुवार को उसकी याचिका खारिज करने का फैसला किया. राणा के कानूनी वकील पीयूष सचदेवा ने तर्क दिया था कि एक विदेशी नागरिक के तौर पर उसे अपने परिवार से बात करने का मौलिक अधिकार है, जो हिरासत में उसके इलाज को लेकर चिंतित हैं. हालांकि, एनआईए ने चल रही जांच का हवाला देते हुए अनुरोध का विरोध किया और चिंता व्यक्त की कि राणा संवेदनशील जानकारी का खुलासा कर सकता है.
राणा पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत कई आरोप हैं, जिनमें साजिश, आतंकवाद, जालसाजी और युद्ध छेड़ना शामिल है. अदालत ने कहा कि प्रत्यर्पण कानूनों के तहत, उस पर केवल प्रत्यर्पण समझौते में स्पष्ट रूप से स्वीकृत अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है. इसके अलावा, चूंकि यूएपीए की धाराएं 16 और 18 लागू होती हैं, इसलिए मामले की आतंकवाद-संबंधी प्रकृति के कारण मानक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की सीमाओं से परे पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ाई जा सकती है.