जोरहाट (असम)
असम की सबसे बड़ी आदिवासी समुदाय, मिजिंग जनजाति ने 19 फरवरी को जोरहाट जिले के शंकरपुर में 'अली आइ लीगांग.' महोत्सव बड़े हर्ष और सांस्कृतिक उमंग के साथ मनाया. यह महोत्सव फागुन महीने के पहले बुधवार को मनाया जाता है और इसकी शुरुआत पारंपरिक ध्वज आरोहण से हुई, जिसके बाद समुदाय ने अपने कृषि धरोहर का सम्मान करते हुए कई पारंपरिक अनुष्ठान किए.
इस महोत्सव में मिजिंग समुदाय के सदस्य अपनी पारंपरिक रंग-बिरंगी वेशभूषा में सजे हुए थे, जो आयोजन की सांस्कृतिक रौनक को और बढ़ा रहे थे. यह महोत्सव कृषि से जुड़ी परंपराओं में गहरी जड़ें रखता है और यह फसल बोने के मौसम की शुरुआत को दर्शाता है. मिजिंग समुदाय द्वारा यह महोत्सव प्राचीन समय से मनाया जाता रहा है.
मिजिंग काबांग जोरहाट के अध्यक्ष इंद्रेश्वर पेगू ने कहा, "अली आइ लीगांग मिजिंग समुदाय का एक पारंपरिक महोत्सव है, जिसे कृषि महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. हम किसान हैं और हम इस दिन से अपनी खेती की शुरुआत करते हैं. हम अपने देवता, डोनी पोलो (माँ सूरज और पिता चाँद) से अपनी फसलों को कीटों और प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए प्रार्थना करते हैं."
उन्होंने कहा, "हमारे यहाँ 'मोरुंग ओकुम' (युवाओं के लिए एक विश्रामगृह) में हम अपने देवता को 'अपोंग' (पारंपरिक शराब), सूखा मांस, सूखा मछली और अन्य पारंपरिक भोजन अर्पित करते हैं. मिजिंग समुदाय का एक प्रमुख महोत्सव है अली आइ लीगांग."
उन्होंने यह भी बताया, "हम हर साल फागुन महीने के पहले बुधवार को यह महोत्सव मनाते हैं. मिजिंग काबांग ने हर साल जोरहाट में अली आइ लीगांग का आयोजन किया है. यह उत्सव जोरहाट में लगभग 40 साल पहले शुरू हुआ था.
पहले यह महोत्सव गांवों में मनाया जाता था, लेकिन अब शहरी क्षेत्रों जैसे जोरहाट में रहने वाले मिजिंग लोग एकत्रित होकर इसे मनाते हैं. पुराने समय में और आज भी गांवों में अली आइ लीगांग पारंपरिक रूप से मनाया जाता है, लेकिन शहरी क्षेत्रों में यह महोत्सव मंच पर मनाया जाता है, जिसमें पारंपरिक प्रतियोगिताएँ भी होती हैं."
महोत्सव का एक प्रमुख आकर्षण था पारंपरिक 'गुमराग' नृत्य, जिसे पुरुषों और महिलाओं ने मिलकर तालमेल से किया, जो आने वाले कृषि मौसम के लिए खुशी और समृद्धि का प्रतीक है.इस आयोजन में एक भव्य भोज का आयोजन भी किया गया, जिसमें लोग पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हुए एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देते हैं.
जोरहाट की मिजिंग महिला, मणाशी बोरी पामेगम ने कहा, "आज हम शंकरपुर, जोरहाट जिले में अली आइ लीगांग मना रहे हैं. शंकरपुर में हमारा 'मुरंग घर' है। हमने महोत्सव की शुरुआत 'लैतोम तोमचार' (ध्वज आरोहण) से की, जिसके बाद हम स्वाहिद (शहीदों) को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं. इसके बाद, हम महोत्सव से जुड़े पारंपरिक अनुष्ठान करते हैं."
उन्होंने कहा, "मूल रूप से हम मिजिंग लोग किसान हैं, इसलिए हर साल फागुन महीने के पहले बुधवार को हम इस महोत्सव को मनाते हैं. हम एकत्रित होकर पारंपरिक परिधान पहनते हैं, पारंपरिक 'गुमराग' नृत्य करते हैं और भव्य भोज का आनंद लेते हैं. आज यह महोत्सव राज्यभर में मनाया गया.