चेन्नई. एक बार फिर एक हिंदुस्तानी का दिल एक पाकिस्तानी के सीने में धड़कने की मिसाल सामने आई है. भारतीय चिकित्सा विज्ञान ने एक बार फिर सरहद पार एक नई जिंदगी बख्शी. उन्नीस वर्षीय आयशा रोशन को चेन्नई के एमजीएम हेल्थकेयर में मुफ्त हृदय प्रत्यारोपण सर्जरी के बाद नया जीवन मिला.
हालांकि, पाकिस्तानी परिवार के लिए यह ट्रांसप्लांट बहुत महंगा था, क्योंकि इसकी अनुमानित लागत लगभग 35 लाख रुपये थी. मेडिकल टीम ने परेशान परिवार को एक ट्रस्ट के संपर्क में रखा, जिसने वित्तीय सहायता प्रदान की. छह महीने पहले आयशा रेशन को दिल दिल्ली से मिला था. 18 महीने तक देश में रहने के बाद एमजीएम हेल्थकेयर में ट्रांसप्लांट सर्जरी मुफ्त में की गई.
आशा और कृतज्ञता से भरी आयशा ने अपनी खुशी व्यक्त की और डॉक्टरों के साथ-साथ भारत सरकार को भी धन्यवाद दिया. आयशा की मां सनोबर ने याद करते हुए बताया कि जब वह भारत पहुंचीं, तो आयशा मुश्किल से जिंदा थी, उसकी हालत खराब हो रही थी. वह कहती हैं कि सच कहें, तो भारत की तुलना में पाकिस्तान में अच्छी मेडिकल सुविधाएं नहीं हैं. मुझे लगता है कि भारत बहुत दोस्ताना है. जब पाकिस्तान में डॉक्टरों ने कहा कि ट्रांसप्लांट की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो हमने डॉ. केआर बालाकृष्णन से संपर्क किया. मैं इलाज के लिए भारत और डॉक्टरों को धन्यवाद देती हूं.’’
आयशा की हृदय रोग की बीमारी 2014 की है, जब उन्हें डॉ. केआर बालाकृष्णन और टीम के मार्गदर्शन में जांच के लिए भारत लाया गया था, उस समय उन्हें पेसमेकर लगाया गया था. इस साल की शुरुआत में डिवाइस में कुछ दिक्कत आई थी. इसलिए परिवार लड़की को इलाज के लिए दोबारा भारत ले आया. परिवार ने डॉ. बालाकृष्णन से परामर्श करने का फैसला किया और चेन्नई में एमजीएम हेल्थकेयर का दौरा किया, जहां डॉक्टरों ने लड़की के हृदय प्रत्यारोपण की सिफारिश की.
इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ. केआर बालाकृष्णन और उनके सह-निदेशक डॉ. सुरेश राव ने कहा कि हृदय दान के लिए दिल्ली से लाया गया था और महिला भाग्यशाली थी कि उसे यह मिला. कोई दावेदार नहीं होने के कारण आयशा रोशन को हृदय समय पर मिल गया, अन्यथा किसी विदेशी को यह अंग नहीं मिल पाता. उन्होंने आगे कहा कि वह मेरी बेटी की तरह है. आयशा अब वापस पाकिस्तान जाने के लिए तैयार हैं, उनका सपना फैशन डिजाइनर बनने का है.
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