मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप निराधार: चुनाव आयोग ने विपक्ष के दावों को खारिज किया

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 17-04-2025
Allegations of manipulation of voter list baseless: Election Commission rejects opposition's claims
Allegations of manipulation of voter list baseless: Election Commission rejects opposition's claims

 

नई दिल्ली

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा चुनावी मतदाता सूची में कथित हेराफेरी और अनियमितताओं पर सवाल उठाए जाने के कुछ महीनों बाद, चुनाव आयोग के सूत्रों ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. 

आयोग ने साफ किया कि मतदाता सूची में सुधार के लिए बहुत ही सीमित संख्या में आपत्तियां या अपीलें दर्ज की गईं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आरोप तथ्यहीन और राजनीति से प्रेरित हैं.

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, राहुल गांधी ने लोकसभा में मतदाता सूची पर विस्तृत चर्चा की मांग की थी.उनका आरोप था कि 2019 से 2024 के बीच महाराष्ट्र की मतदाता सूची में लगभग 30 लाख नए नाम 'अनियमित' तरीके से जोड़े गए हैं.

इसके साथ ही उन्होंने और अन्य विपक्षी दलों जैसे तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी आरोप लगाया कि मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर दोहराए जा रहे हैं, जिससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है.

चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 22 और 23 के तहत मतदाता सूची में सुधार और नाम शामिल करने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी ढांचे के तहत होती है.

हाल में 6-7 जनवरी 2025 को प्रकाशित विशेष सारांश संशोधन (एसएसआर) के दौरान महाराष्ट्र में सिर्फ 89 अपीलें दर्ज की गईं. जबकि पूरे देश में 13,857,359 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) मौजूद थे, जो मतदाता सूची में सुधार और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अधिकृत होते हैं.

इससे स्पष्ट है कि अगर व्यापक अनियमितता होती, तो बड़ी संख्या में आपत्तियां और अपीलें दायर की जातीं। सूत्रों का कहना है कि:"यदि केवल 89 अपीलें दर्ज हुईं, तो इसका मतलब है कि प्रकाशित मतदाता सूची व्यापक रूप से स्वीकार की गई है."

विपक्ष की ओर से यह भी आरोप लगाया गया था कि कई मतदाताओं के ईपीआईसी नंबर दोहराए जा रहे हैं, जो फर्जी मतदाताओं का संकेत हो सकता है."ईपीआईसी नंबर का दोहराव खुद में फर्जीवाड़े का प्रमाण नहीं होता."

वास्तविक जांच के लिए नाम, पते, जन्मतिथि और अन्य विवरणों का मिलान करना जरूरी होता है. आयोग ने यह भी कहा है कि वह इस पर डेटा आधारित तर्क देता है, न कि राजनीतिक प्रतिक्रिया.

विधान चुनावों से पहले विपक्ष की रणनीति?

सूत्रों के अनुसार, आने वाले महीनों में बिहार और अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में यह संभावना है कि विपक्ष इस मुद्दे को और उछालेगा.

हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि वह अपने संवैधानिक दायित्वों और प्रक्रियाओं के तहत काम करता है और कानून की स्पष्ट व्याख्या के अनुसार मतदाता सूचियों का निर्माण और पुनरीक्षण करता है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि"जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 24, जिसे 1961 में जोड़ा गया था, आज के किसी भी चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से बहुत पहले का प्रावधान है.अगर कोई उस प्रक्रिया को गलत ठहराता है, तो वह 1961 में संसद द्वारा पारित कानून की वैधता पर सवाल उठा रहा है."