एम मिश्र /लखनऊ.
आपसी भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब के लिए लखनऊ का नाम हर किसी की जुबान पर आ जाता है. अवध के नवाबी दौर में वाजिद अली शाह ने कान्हा का वेष धर जहां मुरली से इस तहजीब की तान छेड़ी थी,वहीं इसी सरजमीं पर मलिक मोहम्मद जायसी ने हिंदुओं के आराध्य कृष्ण के प्रेम की काव्य रसधार बहायी. आज भी यह सिलसिला जारी है.
लखनऊ के बख्शी का तालाब इलाके में इस गंगा-जमुनी तहजीब की नींव रामलीला मंचन के तौर पर रखी गई जो आज भी कायम है.बीकेटी यानि बख्शी का तालाब के दशहरा मेले में होने वाली रामलीला की शुरूआत करीब 48 साल पहले हुई.
1972 में रुदही सीतापुर रोड के किनारे स्थित त्रिपुर चंद्र बख्शी की ओर से तामीर कराए गए ऐतिहासिक तालाब के नजदीक दशहरा मेला लगता आ रहा है. तीन दिनी इस मेले की खासियत यहां की रामलीला है. यहां मंच पर रामलीला के अहम किरदारों को निभाने वाले सभी कलाकार मुस्लिम है.
मंच पर राम, लक्ष्मण, जानकी और रावण का किरदार मुस्लिम कलाकार शानदार ढंग से निभाते हैं. उनके बाद इस मेले के आयोजन की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत और स्थानीय लोग उठाते आ रहे हैं. वर्ष 2009 में जब बीकेटी नगर पंचायत बनी तो यह जिम्मा नगर पंचायत उठा रही है.
हालांकि कोरोना काल में दो साल यह स्थगित रहा. बीकेटी की रामलीला में राम के किरदार में सलमान खान, लक्ष्मण की भूमिका में अरबाज खान, राजा जनक के रूप में शेर खान तो वहीं मो. सरवर भरत के किरदार में जान फूंकने को तैयार हैं.
नसीम ने भी रावण, साहिल ने मेघनाद की गर्जना से मंच को गूंजाने की ठान चुके हैं. वहीं कौशल्या का किरदार सैयद जैदी निभा रहे हैं. इस रामलीला के शुरूआती दौर से जुड़े शाबिर खान भी बतौर रामलीला निर्देशक सभी को डायलॉग और अदाकारी के गुर सिखा रहे हैं.
बीकेटी में तीन दिवसीय दशहरा मेला पांच से शुरू होगा और सात अक्टूबर को खत्म होगा. पहले दिन रामलीला मैदान से राम की सवारी निकलेगी और मंचन स्थल पर पहुंचने के साथ ही रामलीला शुरू होगी. अगले दिन दिन गांव के हिन्दू-मुस्लिम कलाकार सीता स्वयंवर का मंचन करेंगे.
मेले के तीसरे दिन सात अक्टूबर को रावण वध होगा. शाम को रावण का पुतला दहन होगा. के किरदारों में जान फूंकने में कोई कसर नहीं रखते. करीब पांच दशक पहले इस दशहरा मेले की शुरूआत रुदही के ग्राम प्रधान मैकूलाल यादव और स्थानीय चिकित्सक मुजफ्फर ने थी और यह सिलसिला आज भी जारी है.