लखनऊ. ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आगामी मुहर्रम जुलूस के लिए बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने का आग्रह किया है. पीएम को लिखे अपने पत्र में शिया बोर्ड ने मुहर्रम जुलूसों के दौरान शिया समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में भी बात की.
पत्र में कहा गया है कि हजरत इमाम हुसैन ने अपने परिवार और 72 साथियों के साथ मानवता की रक्षा के लिए कर्बला के मैदान में अपनी जान कुर्बान कर दी थी, जिसमें एक 6 महीने का बच्चा भी शामिल था. ऐसे महान व्यक्तित्व की याद में भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई और हर धर्म के लोग मुहर्रम मनाते हैं.
आपको बता दें कि इस साल मुहर्रम 8 जुलाई से शुरू हो रहा है, जिसमें भारत भर में फैले 7 से 8 करोड़ शिया मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ विभिन्न धर्मों के लोग भी बड़ी संख्या में जुलूस और ताजिया निकालते हैं. बोर्ड ने प्रधानमंत्री से राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित मार्गों पर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने का आग्रह किया ताकि अराजक तत्व कानून व्यवस्था को बिगाड़ न सकें.
पत्र में कहा गया है कि मुहर्रम के दौरान निकाले जाने वाले जुलूसों के मार्गों की सफाई और भीषण गर्मी को ध्यान में रखते हुए सड़कों पर जगह-जगह पानी के छिड़काव या पानी की टंकियों की व्यवस्था की जानी चाहिए. शिया बोर्ड ने आगे कहा कि मुहर्रम के अवसर पर पूरे भारत में परंपरागत मार्गों पर ताजियों के ऊंचे जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें कई बार बिजली के तारों की चपेट में आने से लोगों को करंट लग जाता है. इसलिए बिजली विभाग को निर्देश देकर ताजियों के मार्गों पर उचित व्यवस्था की जानी चाहिए.
बोर्ड ने कहा कि प्रधानमंत्री को हर राज्य के मुख्यमंत्रियों को निर्देश देना चाहिए कि वे रात भर जागने वाले मजलिसों (शोक सभा करने वाले लोगों) को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. मुहर्रम के महीने में लखनऊ, उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में शोक सभाएं पूरी रात जागकर विभिन्न स्थानों पर इमामबाड़ों में हजरत इमाम हुसैन की याद में नोहा ख्वानी और मजलिसे (शोक सभा) करती हैं.
इसमें कहा गया है, ‘‘आपसे अनुरोध है कि आप प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्रियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दें कि ये मजलिसें (शोक सभाएं) सुरक्षित रूप से आयोजित की जाएं और जिला प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि इन सभाओं में जाने वाले शोक संतप्त लोगों, विशेषकर बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े तथा उनकी सुरक्षा की व्यवस्था की जाए.’’