अजमेर. वार्षिक अजमेर उर्स में शामिल होने के लिए पाकिस्तानी तीर्थयात्रियों का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को अजमेर पहुंचेगा. उन्हें पूरी सुरक्षा के साथ दरगाह तक ले जाया जाएगा.
अजमेर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर गजेंद्र सिंह राठौर ने बताया, ‘‘निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, वे (पाकिस्तानी तीर्थयात्री) 6 जनवरी को पहुंचेंगे और 10 जनवरी को दोपहर करीब 12 बजे ट्रेन से वापस लौटेंगे. करीब 100 लोग आएंगे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें पूरी सुरक्षा के साथ दरगाह तक ले जाया जाएगा.’’
इस बीच, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को 813वें उर्स के अवसर पर अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की प्रतिष्ठित दरगाह का दौरा किया.
अपनी यात्रा के बाद, उन्होंने पोस्ट एक्स पर एक ट्वीट पोस्ट किया, जिसमें कहा गया, ‘‘ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स के पावन अवसर पर, मुझे अजमेर शरीफ की प्रतिष्ठित दरगाह पर जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. माननीय प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी जी की ओर से, मैंने पवित्र चादर चढ़ाई, जो आस्था, एकता और शांति का एक शाश्वत संकेत है, जो लाखों लोगों को प्रेरित करता है.’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स के अवसर पर अजमेर शरीफ दरगाह पर उनकी ओर से चढ़ाई जाने वाली चादर चढ़ाई गई. केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू द्वारा पीएम मोदी की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाने पर ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा, ‘‘यह परंपरा है कि पीएम मोदी उर्स के मौके पर चादर भेजते हैं. आज केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू चादर लेकर अजमेर शरीफ दरगाह आए. हम सभी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. और फिर उन्होंने दरगाह पर चादर पेश की. इसके बाद उन्होंने ‘महफिल खाने’ में पीएम मोदी का संदेश पढ़ा...पीएम मोदी के संदेश ने दिखाया कि हमारे देश में हर धर्म से जुड़े लोग एकजुट हैं...हर किसी को उस संदेश को सुनना चाहिए...’’
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स के मौके पर अजमेर शरीफ दरगाह पर यह ‘चादर’ चढ़ाई जाती है. पीएम मोदी इस अवसर पर हर साल दरगाह पर चादर भेजते हैं. प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद से मोदी दस बार अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ा चुके हैं. यह 11वीं बार होगा, जब वह इस परंपरा में शामिल होंगे. पिछले साल 812वें उर्स के दौरान प्रधानमंत्री की ओर से तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और जमाल सिद्दीकी ने मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रतिनिधिमंडल के साथ दरगाह पर चादर पेश की थी.
ख्वाजा गरीब नवाज की मजार (मजार-ए-अखदास) पर चढ़ाई जाने वाली चादर भक्ति और सम्मान का प्रतीक है. उर्स त्योहार के दौरान चादर चढ़ाना इबादत का एक शक्तिशाली रूप माना जाता है, जिसे आशीर्वाद प्राप्त करने और मन्नतें पूरी करने के साधन के रूप में देखा जाता है. अजमेर शरीफ दरगाह भारत में सबसे प्रतिष्ठित सूफी दरगाहों में से एक है. हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु उर्स उत्सव मनाने के लिए यहां इकट्ठा होते हैं, जो ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की पुण्यतिथि का एक महत्वपूर्ण आयोजन है.
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 813वां उर्स 28 दिसंबर, 2024 को शुरू हुआ और इसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. इस वार्षिक आयोजन में देश भर से तथा विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं, जो यहां आकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं तथा आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.