आवाज द वाॅयस / अजमेर
अजमेर शरीफ की दरगाह हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (र.अ.) के संरक्षक खुद्दाम-ए-ख्वाजा गरीब नवाज सूफी समुदाय ने हाल ही में अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती द्वारा दिए गए कट्टरपंथी और नफरत भरे भाषणों की कड़ी निंदा की है.
इस मामले में समुदाय ने अंजुमन के अध्यक्ष सैयद गुलाम किबरिया चिश्ती को ज्ञापन सौंपकर स्पष्टता की मांग की है कि सरवर चिश्ती के बयान उनके व्यक्तिगत विचार हैं या अंजुमन सैयद जादगान का आधिकारिक रुख.
बयानबाज़ी का असर
खुद्दाम-ए-ख्वाजा गरीब नवाज सूफी समुदाय के सदस्यों ने सरवर चिश्ती के बयानों पर गहरी चिंता व्यक्त की है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं.इन बयानों से समाज में विभाजन की भावना पैदा हो रही है.इससे अजमेर शरीफ की दरगाह की शांति और सद्भाव की विरासत को गंभीर नुकसान हो रहा है.
सरवर चिश्ती के बयानों को गलत तरीके से सूफी समुदाय के एक नेता के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिसे खुद्दाम-ए-ख्वाजा गरीब नवाज ने दृढ़ता से खारिज किया है.ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि दरगाह शरीफ की पवित्रता और समावेशिता की परंपरा हमेशा सभी धर्मों के अनुयायियों को एक साथ लाने का काम करती रही है.
हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (र.अ.) की दरगाह एक ऐसा स्थान है जहां लोग अपनी श्रद्धा के साथ आते हैं, और यह दरगाह हमेशा प्यार और भाईचारे का संदेश देती है.
कट्टरपंथी बयानों की निंदा
खुद्दाम-ए-ख्वाजा गरीब नवाज सूफी समुदाय ने इस बात पर जोर दिया कि सरवर चिश्ती के कट्टरपंथी बयानों से दरगाह शरीफ द्वारा प्रोत्साहित किए जाने वाले अंतरधार्मिक संवाद और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की सदियों पुरानी परंपरा को खतरा है.उनका मानना है कि ऐसे बयान न केवल दरगाह की छवि को धूमिल करते हैं, बल्कि इससे समाज में नफरत और भेदभाव को बढ़ावा मिलता है.
कार्रवाई की मांग
खुद्दाम-ए-ख्वाजा गरीब नवाज सूफी समुदाय ने अंजुमन के नेतृत्व को इस मामले पर स्पष्टता देने के लिए तीन दिनों की समयसीमा दी है.अगर नेतृत्व उचित कार्रवाई नहीं करता, जिसमें सरवर चिश्ती के बयानों पर रोक लगाने और उन्हें उनके पद से हटाने की मांग शामिल है, तो सूफी समुदाय कानूनी कार्रवाई करने के लिए बाध्य होगा.यह कार्रवाई दरगाह शरीफ की प्रतिष्ठा और सांप्रदायिक सद्भाव की रक्षा के लिए आवश्यक मानी जाएगी.
समुदाय की प्रतिबद्धता
खुद्दाम-ए-ख्वाजा गरीब नवाज सूफी समुदाय ने पुनः स्पष्ट किया है कि दरगाह हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (र.अ.) हमेशा से शांति, प्रेम, और सद्भाव का पवित्र स्थान रही है.समुदाय का संकल्प है कि वे इन मूल्यों की रक्षा करेंगे और नफरत या विभाजन की किसी भी बयानबाज़ी से दूर रहेंगे.
ज्ञापन सौंपने में खुद्दाम-ए-ख्वाजा गरीब नवाज सूफी समुदाय के कई प्रमुख सदस्य शामिल थे, जिनमें सैयद निजामुद्दीन नाजिम, सैयद तसद्दुक जमाली, सैयद फजले मोईन, सैयद सलीम हाशमी, सैयद मुसब्बिर चिश्ती, और अन्य बुजुर्ग एवं युवा शामिल थे.इन सदस्यों ने दरगाह की पवित्रता और सूफी परंपरा को संरक्षित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
घटना से सूफी समुदाय में जागरूकता
इस घटना ने अजमेर शरीफ के सूफी समुदाय में एक नई जागरूकता और एकता का संचार किया है.खुद्दाम-ए-ख्वाजा गरीब नवाज का यह कदम दर्शाता है कि वे दरगाह की महानता और उसके प्रेम भरे संदेश की रक्षा के लिए तत्पर हैं.दरगाह शरीफ न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द और मानवता की सेवा का एक आदर्श प्रतीक है.