आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली-अजमेर
इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के शीघ्र समाधान और शांति के लिए अजमेर दरगाह में विशेष प्रार्थना की गई. बढ़ते तनाव के बीच भारतीय मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भी शांति का आह्वान किया है. भारत के प्रख्यात विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के बीच युद्ध पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है और शांति वार्ता अवश्य होनी चाहिए.
चिश्ती फाउंडेशन अजमेर के अध्यक्ष हाजी सैयद सलमान चिश्ती ने कहा, ‘‘नमाज के बाद अजमेर दरगाह पर विशेष दुआ की गयी. सभी विश्व शांति संगठनों को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए एक साथ आना चाहिए और संघर्ष के समाधान की दिशा में काम करना चाहिए.’’
सलमान चिश्ती ने कहा, ‘‘जी-20 के दौरान पीएम मोदी ने दोहराया था कि यह युद्ध का युग नहीं है. हम इजरायली धरती पर हुए आतंकवादी हमलों की निंदा करते हैं, साथ ही कहा कि इजरायल और फिलिस्तीन के किसी भी आम नागरिक को परेशानी नहीं उठानी चाहिए. शांति ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.’’
प्रसिद्ध विद्वान ख्वाजा इफ्तिखार ने कहा कि यह वास्तव में बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. झगड़े सुलझ नहीं रहे हैं. यह 1967 से चला आ रहा है. पूरी दुनिया में शांति होनी चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से शांति है ही नहीं. बहुमूल्य मानव जीवन की हानि देखना वास्तव में बहुत दर्दनाक है. यह संघर्ष कब तक चलता रहेगा? निर्दोष लोगों की जान बचाने के लिए सभी विवादों को यथाशीघ्र हल किया जाना चाहिए.
वेस्ट एशियन स्टडीज के एक अन्य विद्वान जाकिर हुसैन ने कहा कि दुनिया को इजरायल और फिलिस्तीन के मुद्दों को हल करने के लिए एक साथ आना चाहिए. दशकों से इसकी उपेक्षा की गई है. फिलिस्तीनी अब अपनी जमीनों के लिए बेचैन हैं. हमास के आतंकवादी चरमपंथी हैं, जो सोचते हैं कि वे अपने हिंसा के हथियारों से अपने सदियों पुराने मुद्दों को हल कर सकते हैं. भारत शांति स्थापित करने के लिए कोई तंत्र लेकर आएगा.
इससे पहले दिन में पीएम मोदी इजराइल के साथ एकजुटता व्यक्त करने वाले पहले विश्व नेताओं में से थे. पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘हम ऐसे हमलों से गहरे सदमे में हैं और भारत इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़ा है. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं.’’
सऊदी अरब साम्राज्य ने एक बयान जारी कर कहा, वह कई फिलिस्तीनी गुटों और इजरायली कब्जे वाली ताकतों के बीच अभूतपूर्व स्थिति के विकास पर बारीकी से नजर रख रहा है, जिसके परिणामस्वरूप वहां कई मोर्चों पर उच्च स्तर की हिंसा हुई है. किंगडम दोनों पक्षों के बीच तनाव को तत्काल रोकने, नागरिकों की सुरक्षा और संयम बरतने का आह्वान करता है.
संयुक्त अरब अमीरात ने हिंसा में वृद्धि के संबंध में गहरी चिंता व्यक्त की है और हिंसा को रोकने और नागरिकों के जीवन को संरक्षित करने के महत्व पर जोर दिया है. यूएई ने हालिया संकट के सभी पीड़ितों के प्रति गंभीर संवेदना व्यक्त की है. एक बयान में, विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि यूएई ने गंभीर नतीजों से बचने के लिए अत्यधिक संयम बरतने और तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है.
अचानक हुए घटनाक्रम में गाजा स्थित आतंकवादी समूह हमास ने सुबह इजरायल पर एक अभूतपूर्व हमला किया, हजारों रॉकेट दागे और जमीन, समुद्र और हवा से इजरायली समुदायों में बंदूकधारियों को भेजा, जिसमें कम से कम 40 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. इजरायली सेना और सुरक्षा बल पूरी तरह आश्चर्यचकित रह गए. रिपोर्टरों ने सुझाव दिया कि हमास द्वारा 35 से अधिक इजरायली नागरिकों को बंधक बना लिया गया था.
जिसके बाद इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने घोषणा की कि इजरायल युद्ध की स्थिति में है और हमास को इसके लिए अभूतपूर्व कीमत चुकानी होगी. इसके बाद फिलिस्तीनी के खिलाफ इजरायली जवाबी कार्रवाई हुई.
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार जवाबी हमलों में कम से कम 198 लोग मारे गए हैं और 1,610 घायल हुए हैं. इजराइली नौसेना ने आज सुबह इजराइल में घुसपैठ की कोशिश कर रहे दर्जनों फिलिस्तीनी आतंकियों को मार गिराया.