नई दिल्ली
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के मद्देनजर, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने युद्धों के उद्देश्यों और स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए राष्ट्र की इच्छाशक्ति के महत्व पर अपनी राय रखी. डोभाल का कहना है कि युद्ध का मुख्य उद्देश्य दुश्मन की सेना को हराकर और उसकी राष्ट्रीय इच्छाशक्ति को तोड़कर उसे परास्त करना होता है.
उन्होंने सवाल उठाया, "हम युद्ध क्यों लड़ते हैं? क्या यह दुश्मन की सेनाओं को नष्ट करने में कोई सुख है? हमारे सैन्य उद्देश्यों को हासिल करने का तरीका क्या है?" डोभाल ने यह विचार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. जीडी बख्शी द्वारा भारतीय सामरिक संस्कृति की किताब के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किए.
उन्होंने कहा, "जब आप युद्ध के मैदान में दुश्मन को हरा देते हैं, तो वह आपके साथ शांति स्थापित करने के लिए आपकी शर्तों पर तैयार हो जाता है."डोभाल ने रूस-यूक्रेन संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि किसी भी युद्ध में राष्ट्रीय इच्छाशक्ति को मजबूत करने की आवश्यकता होती है.
उन्होंने स्वामी विवेकानंद का भी उल्लेख किया, जिन्होंने राष्ट्रीय इच्छा को प्रबल बनाने के लिए आवाज उठाई थी. साथ ही, उन्होंने सोशल मीडिया पर झूठी खबरों के खिलाफ मजबूत कथाओं का प्रचार करने की आवश्यकता पर बल दिया. यह कहते हुए कि सोशल मीडिया की विश्वसनीयता पर संदेह बढ़ रहा है. उन्होंने सुझाव दिया कि लोगों को सोशल मीडिया पर फैलने वाली गलत जानकारी को उजागर करना चाहिए.
अजीत डोभाल के अनुसार, सच्ची शांति केवल युद्ध समाप्ति के बाद उस शर्त पर प्राप्त की जा सकती है, जिसमें राष्ट्र की इच्छाशक्ति और शक्ति की पूरी कद्र हो.