नई दिल्ली
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देशभर में मुस्लिम समुदाय के भीतर गहरी बेचैनी और असंतोष पनप रहा है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून को मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों और वक्फ संपत्तियों की स्वायत्तता पर “सीधा हमला” करार देते हुए इसके खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने की घोषणा की है.
AIMPLB के महासचिव मौलाना मोहम्मद फजलुर्रहीम मुजद्दिदी ने बोर्ड की आपात बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में कहा:“ये संशोधन न सिर्फ शरीयत और इस्लामी परंपराओं के खिलाफ हैं, बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान की आत्मा को भी ठेस पहुंचाते हैं.
अब समय आ गया है कि देश के मुसलमान एकजुट होकर शांतिपूर्ण और रणनीतिक तरीके से अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें.”बोर्ड ने साफ कर दिया है कि यह आंदोलन संविधान के दायरे में, लेकिन पूरी ताक़त से और तब तक चलेगा जब तक संशोधन रद्द नहीं हो जाते.
AIMPLB ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह संशोधन एक राजनीतिक साजिश है, जिसके माध्यम से वक्फ संपत्तियों को कमजोर कर मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वायत्तता को खत्म करने की कोशिश की जा रही है.
बोर्ड ने कुछ तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए और मुस्लिम समुदाय से कहा कि वे राजनीतिक रूप से सजग, सतर्क और संगठित रहें.
AIMPLB ने विरोध को तीन प्रमुख चरणों में संचालित करने की योजना बनाई है. पहला चरण “वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ सप्ताह” के रूप में पूरे देश में मनाया जाएगा.
पहला चरण: 7-दिवसीय जनजागरण सप्ताह
शुरुआत: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में भव्य जनसभा से
थीम: “फैक्ट्स बनाम फिक्शन” – संशोधनों को लेकर फैलाई जा रही भ्रांतियों का खंडन तथ्यों और तर्कों से
प्रमुख आयोजन:
देशभर के शहरों में रैलियां और जनसभाएं: मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, पटना, हैदराबाद, चेन्नई, बेंगलुरु, रांची, मलप्पुरम, विजयवाड़ा
राज्य राजधानियों में प्रतीकात्मक गिरफ्तारियां
जिला स्तर पर ज्ञापन राष्ट्रपति और गृह मंत्री को भेजे जाएंगे (DM के माध्यम से)
ब्लैक बैंड पहनकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन
प्रेस कॉन्फ्रेंस और गोलमेज संवाद
दिल्ली में अन्य धर्मों के प्रमुख नेताओं व उनके वक्फ संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जाएगी ताकि धार्मिक विविधता और साझा विरासत की भावना को सामने लाया जा सके.
बोर्ड ने विशेष रूप से युवा मुसलमानों से संयम बरतने और AIMPLB के निर्देशों के तहत ही भागीदारी करने की अपील की है.हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण, रणनीतिक और पूरी तरह संविधान के दायरे में रहेगा। कोई भी युवा भावनाओं में बहकर ऐसा कदम न उठाए जिससे सांप्रदायिक ताकतों को मौका मिले.”
मौलाना मुजद्दिदी ने सूरह अल-अंकबूत (आयत 69) का हवाला देते हुए आंदोलन को एक धार्मिक कर्तव्य बताया:“और जो लोग हमारे लिए प्रयास करते हैं, हम उन्हें अपने मार्ग पर मार्गदर्शन करेंगे। और निस्संदेह अल्लाह अच्छे काम करने वालों के साथ है.”
उन्होंने कहा कि यह आंदोलन न सिर्फ कानूनी लड़ाई है, बल्कि एक आध्यात्मिक संघर्ष भी है। “हम मेहनत करेंगे, बाकी फैसला अल्लाह के हाथ में है.”