आगरा. सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे का प्रदर्शन करते हुए, आगरी केंद्रीय जेल में कुछ मुस्लिम भाईयों ने ने नवरात्रि पर उपवास किया, तो हिंदू भाईयों ने भी रमजान के दौरान ‘रोजा’ यानी उपवास किया. बुराई पर अच्छाई की जीत का नौ दिवसीय हिंदू उत्सव चैत्र नवरात्रि, 22 मार्च को शुरू हुआ, जबकि मुस्लिम पवित्र महीना रमजान 24 मार्च को शुरू हुआ.
सेंट्रल जेल के प्रभारी उप महानिरीक्षक राधा कृष्ण मिश्रा ने पीटीआई को बताया, ‘‘मुस्लिम कैदी नवरात्रि के लिए उपवास कर रहे हैं और परिसर में मंदिर में आयोजित होने वाले भजन-संकीर्तन में भी भाग ले रहे हैं.’’ रोजा रखने वाले हिंदू कैदियों की ओर इशारा करते हुए, मिश्रा ने कहा, ‘‘यह एक अच्छी अवधारणा है जहां दोनों धर्मों के कैदी हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश पैदा कर रहे हैं.’’
जेल प्रशासन द्वारा जारी एक वीडियो में कैदी नौशाद ने नवरात्रि के उपवास पर अपने विचार साझा किए. नौशाद ने बताया, ‘‘मैंने नवरात्रि के पहले दिन उपवास रखा और आखिरी दिन एक रखूंगा. जेल में हम सभी एकता के साथ रहते हैं और सभी की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं.’’ ‘‘हम मंदिर में आयोजित भजनों में भाग लेते हैं और हिंदू कैदियों के साथ गाते हैं.’’
जेलर आलोक सिंह ने कहा कि जेल में 905 कैदी हैं. उनमें से 17 मुस्लिम कैदियों ने नवरात्रि पर उपवास रखा, जबकि 37 हिंदुओं ने रोजा रखा. जेल प्रशासन ने नवरात्र में व्रत रखने वाले बंदियों के लिए फल और दूध की व्यवस्था की है. रोजा रखने वाले कैदियों के लिए प्रशासन ने रोजा खोलने के लिए भी समुचित इंतजाम किया है.
शुक्रवार से जेल प्रशासन बंदियों के लिए भागवत कथा का आयोजन भी कर रहा है. 31 मार्च को भंडारा का आयोजन किया जाएगा. सिंह ने कहा, ‘‘यह कैदियों के बीच सकारात्मकता लाता है और उन्हें अच्छे जीवन के लिए प्रेरित करता है.’’
जेल के कैदियों के कल्याण के लिए काम करने वाली एक सामाजिक संस्था ‘तिनका-तिनका’ की संस्थापक वर्तिका नंदा ने कहा कि जेल धार्मिक त्योहारों और अनुष्ठानों के आदान-प्रदान के लिए एक आदर्श स्थान है. उन्होंने कहा, ‘‘जब विभिन्न धर्मों के कैदी एक-दूसरे के अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, तो यह एकजुटता और आपसी सम्मान का एक आदर्श उदाहरण है.’’