नई दिल्ली. भारत ने यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएस-एड) द्वारा भारतीय चुनावों में कथित रूप से हस्तक्षेप करने और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए लाखों खर्च करने संबंधी रिपोर्टों पर चिंता व्यक्त की है. विदेश मंत्रालय (एमईए) ने पुष्टि की है कि संबंधित विभाग और एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं.
नई दिल्ली में मीडिया ब्रीफिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने यूएसएआईडी की कुछ गतिविधियों और फंडिंग के बारे में अमेरिकी प्रशासन द्वारा दी गई जानकारी देखी है. ये स्पष्ट रूप से बेहद परेशान करने वाली हैं. इससे भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की चिंता पैदा हुई है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘संबंधित विभाग और एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं. इस समय कोई सार्वजनिक टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी. संबंधित अधिकारी इस पर विचार कर रहे हैं और उम्मीद है कि हम बाद में इस पर कोई अपडेट दे पाएंगे.’’
इस मुद्दे ने तब और तूल पकड़ा, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए यूएसएआईडी के माध्यम से 21 मिलियन डॉलर आवंटित करने के बिडेन प्रशासन के फैसले पर चिंता जताई. ट्रंप ने गुरुवार को मियामी में एफआईआई प्राथमिकता शिखर सम्मेलन के दौरान भारतीय समयानुसार कहा, ‘‘हमें भारत में मतदान पर 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की क्या जरूरत है? मुझे लगता है कि वे किसी और को निर्वाचित करने की कोशिश कर रहे थे. हमें भारत सरकार को बताना होगा... यह पूरी तरह से एक बड़ी सफलता है.’’
इससे पहले, ट्रंप ने भारत में मतदाता मतदान पहल के लिए 21 मिलियन डॉलर के वित्तपोषण को रद्द करने के अमेरिकी सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) के फैसले का समर्थन किया था. ट्रम्प ने फ्लोरिडा में अपने मार-ए-लागो निवास पर एक भाषण के दौरान टिप्पणी की, ‘‘हम भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दे रहे हैं? उन्हें बहुत ज्यादा पैसे मिले हैं. वे हमारे मामले में दुनिया के सबसे ज्यादा कर लगाने वाले देशों में से एक हैंय हम वहाँ मुश्किल से ही पहुंच पाते हैं, क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं. मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान करता हूँ, लेकिन मतदान के लिए 21 मिलियन डॉलर देना? भारत में? यहाँ मतदान के बारे में क्या?’’
16 फरवरी को, एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई ने 21 मिलियन डॉलर के अनुदान को रद्द करने की घोषणा की, जिसमें विभिन्न विदेशी सहायता कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला गया जिन्हें अनावश्यक या अत्यधिक माना गया था, जिसमें भारत मतदाता मतदान परियोजना सबसे प्रमुख थी. विभाग ने बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों के लिए अन्य सहायता कार्यक्रमों को भी रद्द कर दिया, जिसमें बांग्लादेश में राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने के लिए 29 मिलियन डॉलर और नेपाल में राजकोषीय संघवाद के लिए 20 मिलियन डॉलर शामिल हैं.
बिडेन प्रशासन के दौरान बांग्लादेश में यूएसएआईडी की भागीदारी और अगस्त में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को हटाने में इसकी संभावित भूमिका के बारे में भी सवाल उठे हैं. बांग्लादेश में यूएसएआईडी के सभी सहायता कार्यक्रम अब निलंबित कर दिए गए हैं.