नई दिल्ली. विपक्ष द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जाने के बाद, तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को इस मुद्दे पर कांग्रेस से असहमतियाँ जताईं. उन्होंने आरोपों को ‘सिर्फ बेतरतीब बयान’ करार दिया और मांग की कि ऐसे आरोप लगाने वाले लोगों को यह दिखाना चाहिए कि ईवीएम को कैसे ‘हैक’ किया जा सकता है
उन्होंने कहा, ‘‘ईवीएम पर सवाल उठाने वाले लोगों के पास अगर कुछ है, तो उन्हें जाकर चुनाव आयोग को डेमो दिखाना चाहिए. अगर ईवीएम रैंडमाइजेशन के समय सही तरीके से काम किया गया है और बूथ पर काम करने वाले लोग मॉक पोल और काउंटिंग के दौरान जांच करते हैं, तो मुझे नहीं लगता कि इस आरोप में कोई दम है.’’
टीएमसी सांसद ने कहा, ‘‘अगर अब भी किसी को लगता है कि ईवीएम हैक की जा सकती है, तो उन्हें चुनाव आयोग से मिलना चाहिए और दिखाना चाहिए कि ईवीएम को कैसे हैक किया जा सकता है...सिर्फ बेतरतीब बयान देने से कुछ नहीं हो सकता...’’
इससे पहले कांग्रेस ने हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हारने के बाद ईवीएम पर संदेह जताया था. पार्टी ने महाराष्ट्र में चुनावी प्रक्रिया पर संदेह जताते हुए चुनाव आयोग से भी मुलाकात की थी. जयराम रमेश ने 1 दिसंबर को एएनआई से कहा था, ‘‘ईवीएम चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पूरी चुनाव मशीनरी में गड़बड़ियां हैं और लक्षित हेरफेर हुआ है...महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे असंभव हैं. कोई भी उन्हें समझ नहीं सकता...हमने पूरी चुनाव मशीनरी पर सवाल उठाए हैं जो लोकतंत्र के लिए बहुत खतरनाक है.’’
इस बीच, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए आरोप लगाया कि पार्टी को ईवीएम में खामियां तभी नजर आती हैं, जब वे चुनाव हार जाते हैं. फडणवीस ने कहा, ‘‘जब भी कांग्रेस पार्टी चुनाव हारती है, तो आत्मचिंतन करने के बजाय किसी और को दोषी ठहराती है. जब तक वे आत्मचिंतन नहीं करेंगे, वे चुनाव नहीं जीत पाएंगे...जब वे (कांग्रेस) कर्नाटक, झारखंड में सरकार बनाते हैं, तो ईवीएम में कोई समस्या नहीं होती, लेकिन जब वे महाराष्ट्र हारते हैं, तो वे ईवीएम को दोषी ठहराते हैं.’’
भाजपा ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस को कम से कम तब तो इसे समझने की कोशिश करनी चाहिए, जब भारतीय जनता पार्टी के लोग ऐसा कहते हैं. जब हम ऐसा कहते हैं, तो वे इसे नहीं समझते, लेकिन अब उनके सहयोगी भी ऐसा कह रहे हैं...कम से कम अब उन्हें समझ जाना चाहिए, उन्हें यह एहसास होना चाहिए कि वे राहुल गांधी जैसे नेता के साथ आगे नहीं बढ़ पाएंगे. ममता बनर्जी भी यही कह रही हैं, साथ ही एनसीपी (सपा) प्रमुख शरद पवार और (समाजवादी पार्टी प्रमुख) अखिलेश यादव भी यही कह रहे हैं...’’
केंद्रीय मंत्री ने लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष के महत्व को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से यह महसूस करता हूं कि कांग्रेस पार्टी को खुद को समझना चाहिए, उन्हें समझना चाहिए कि उनकी गलती क्या है और उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि उनकी समस्या क्या है. हम रचनात्मक विपक्ष भी चाहते हैं. हम कांग्रेस या विपक्ष को पूरी तरह से कमजोर नहीं देखना चाहते. हम ऐसा नहीं चाहते. लोकतंत्र में विपक्ष सत्तारूढ़ (केंद्र में सरकार) जितना ही महत्वपूर्ण है...’’