वर्ल्ड एंब्रियोलॉजिस्ट डे: 1978 में आईवीएफ बेबी ने बदल दी दुनिया की तस्वीर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 25-07-2024
World Embryologist Day: In 1978, IVF baby changed the face of the world
World Embryologist Day: In 1978, IVF baby changed the face of the world

 

नई दिल्ली

 25 जुलाई को विश्व IVF दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस भी कहा जाता है. यह दिन उन वैज्ञानिकों और चिकित्सकों को सम्मानित करने का अवसर है जिन्होंने सूनी गोद को आशा दी और लाखों दंपत्तियों के माता-पिता बनने के सपने को साकार किया.

 इस दिन की महत्ता इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना से जुड़ी हुई है.इसी दिन, 25 जुलाई 1978 को, पहली आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) बेबी का जन्म हुआ था, जिसका नाम लुईस जॉय ब्राउन रखा गया. यह चिकित्सा विज्ञान की एक ऐतिहासिक सफलता थी, जिसे भ्रूणविज्ञानी (एंब्रियोलॉजिस्ट्स) ने संभव किया.

 भारत की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी, कनुप्रिया अग्रवाल, ने लुईस के जन्म के 67 दिन बाद, 3 अक्टूबर 1978 को कोलकाता में जन्म लिया.आईवीएफ तकनीक ने उन दंपत्तियों के लिए नई उम्मीद की किरण प्रदान की है जो बांझपन जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. इस प्रक्रिया में महिला के शरीर से अंडों को निकालकर लैब में स्पर्म के साथ फर्टिलाइज किया जाता है.

 तैयार हुए भ्रूण को महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाता है, जिससे गर्भधारण की प्रक्रिया शुरू होती है.दिल्ली के मालवीय नगर स्थित एक निजी अस्पताल में भ्रूणविज्ञानी के रूप में काम कर रही ललिता उपाध्याय ने बताया, "हम डॉक्टर नहीं होते.

भ्रूणविज्ञानी वह वैज्ञानिक होते हैं जो प्रयोगशालाओं में पर्दे के पीछे काम करते हैं. हमारा काम भ्रूण के सही विकास और उनकी देखभाल सुनिश्चित करना होता है."इस दिन की महत्ता उन लोगों के लिए है जो इस तकनीक से लाभान्वित हुए हैं और जिन्होंने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत की है.