नई दिल्ली
आयुष प्रणाली (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) के उदय के साथ भारत पिछले कुछ वर्षों में चिकित्सा पर्यटन के लिए एक प्रमुख गंतव्य के रूप में उभरा है.
आयुष मंत्रालय पारंपरिक दवाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. परिणामस्वरूप 2024 में आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी को दुनिया भर में मुख्यधारा की स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत किया गया.
2023 में, सरकार ने देश में स्वास्थ्य और कल्याण उपचार चाहने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के प्रवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए चिकित्सा वीजा प्रावधानों को लागू किया.
मंत्रालय के अनुसार, इससे चिकित्सा पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई 2023 और दिसंबर 2024 के बीच भारत में उपचार चाहने वाले विदेशियों को लगभग 123 नियमित आयुष वीजा और 221 ई-आयुष वीजा जारी किए गए.
इसी अवधि के दौरान 17 ई-आयुष परिचारक वीजा भी जारी किए गए हैं. आयुष वीजा चार उप-श्रेणियों के अंतर्गत उपलब्ध है: आयुष वीजा; आयुष परिचारक वीजा; ई-आयुष वीजा और ई-आयुष परिचारक वीजा. आयुष वीजा किसी विदेशी को दिया जाता है जिसका एकमात्र उद्देश्य आयुष प्रणालियों के माध्यम से उपचार प्राप्त करना होता है. भारत में वर्तमान में 755,780 से अधिक पंजीकृत आयुष चिकित्सक, 886 स्नातक और 251 स्नातकोत्तर कॉलेज हैं, जिनमें 59,643 यूजी छात्र और 7,450 पीजी छात्र प्रतिवर्ष प्रवेश लेते हैं. लगभग 3,844 आयुष अस्पताल और 36,848 औषधालय भी स्थापित किए गए हैं, जबकि आयुष अनुसंधान पोर्टल पर 43,000 से अधिक अध्ययन होस्ट किए गए हैं, जो साक्ष्य-आधारित स्वास्थ्य सेवा पर जोर देते हैं. आयुष ने आयुष ग्रिड, ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन और एआई एकीकरण जैसी पहलों के माध्यम से डिजिटल परिवर्तन भी देखा है. इसके अलावा, आयुष टेलीमेडिसिन ने दूरदराज के क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा लाई है.
भारत के बाहर, आयुष सूचना प्रकोष्ठ वर्तमान में 35 देशों में 39 स्थानों पर कार्यरत हैं. ये ज्ञान के प्रसार और वैश्विक जागरूकता के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करते हैं.
मंत्रालय ने आयुष प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए 103 से अधिक देशों के साथ सहयोग किया है. इसने जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना की और 2024 में डब्ल्यूएचओ रोग वर्गीकरण श्रृंखला आईसीडी-11 में पारंपरिक चिकित्सा को मान्यता दिलाई.