With Ayushman Bharat & National Digital Health Mission, India is better prepared for next pandemic says World Bank official
आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
विश्व बैंक में महामारी कोष की कार्यकारी प्रमुख प्रिया बसु ने कहा कि भारत ने कोविड-19 महामारी के बाद अपने स्वास्थ्य सेवा ढांचे को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं. एएनआई से विशेष बातचीत में बसु ने भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहने के लिए भारत द्वारा उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला. बसु ने बताया कि आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाएं स्वास्थ्य सेवा पहुंच और बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने की भारत की रणनीति का अहम हिस्सा हैं.
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत एक और महामारी से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है, तो बसु ने कहा, "मैं कहूंगी कि भारत में स्वास्थ्य सेवा, स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए प्रयास किए गए हैं. आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन है." उन्होंने कहा कि अगली महामारी के लिए देश को तैयार करना आसान काम नहीं है, लेकिन कोविड-19 से महत्वपूर्ण सबक सीखे गए हैं. उन्होंने बताया, "सबक में तेजी से जांच करने की क्षमता बढ़ाना, अस्पतालों में आवश्यक उपकरण, पीपीई क्षमता, आईसीयू यूनिट, आईसीयू बेड की उपलब्धता शामिल है." बसु ने कहा कि दुनिया अभी भी अगले प्रकोप के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है, फिर भी प्रयास किए जा रहे हैं.
उन्होंने 2022 में शुरू की गई वैश्विक पहल महामारी कोष के बारे में भी बात की, जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों को महामारी की तैयारी करने में मदद करती है.
बसु ने कहा, "महामारी कोष वास्तव में कम और मध्यम आय वाले देशों के साथ उनकी क्षमता को मजबूत करने के लिए जानबूझकर काम करने का एक शानदार उदाहरण है."
निवेश के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, "सभी निम्न और मध्यम आय वाले देशों को सही स्तर की तैयारी में लाने के लिए शामिल लागत या आवश्यक निवेश उस नुकसान का एक छोटा सा हिस्सा है जो दुनिया को उठाना पड़ेगा अगर हम तैयार नहीं हैं."
उन्होंने विश्व बैंक और डब्ल्यूएचओ द्वारा किए गए एक संयुक्त अध्ययन पर प्रकाश डाला, जिसमें अनुमान लगाया गया था कि पांच वर्षों में 150 बिलियन अमरीकी डॉलर का निवेश सभी देशों को तैयार कर सकता है, जबकि कोविड-19 के दौरान खरबों डॉलर का नुकसान हुआ है.
बसु ने यह भी बताया कि भारत महामारी कोष से कैसे लाभान्वित हो रहा है. उन्होंने कहा, "हमारे पास भारत में एक परियोजना है जो एक अनुदान है जो एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक से ऋण के साथ-साथ खाद्य और कृषि संगठन से तकनीकी सहायता के साथ मिश्रित है." उन्होंने विस्तार से बताया कि महामारी कोष से 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान पशु निगरानी, पशु प्रयोगशालाओं, पशु चिकित्सा कार्यबल और कृषि जैव सुरक्षा को मजबूत करके भारत के वन हेल्थ मिशन का समर्थन कर रहा है. भारत शुरू से ही महामारी कोष का सक्रिय समर्थक रहा है.
बसु ने कहा, "भारत महामारी कोष का संस्थापक योगदानकर्ता है. यह उन देशों में से एक है जो शुरुआत में ही आगे आए." उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने हाल ही में कोष में अपना योगदान दोगुना कर दिया है और वोटिंग सदस्य के रूप में इसके शासी बोर्ड में शामिल है.