ताड़ की पत्तियों और छाल में होते हैं औषधीय गुण, कई बीमारियों से दिलाता है निजात

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 11-03-2025
Palm leaves and bark have medicinal properties, provide relief from many diseases
Palm leaves and bark have medicinal properties, provide relief from many diseases

 

नई दिल्ली. ताड़ का लंबा पेड़ और उसकी हरी-हरी पत्तियां न केवल देखने में खूबसूरत लगती हैं बल्कि ये आयुर्वेद में अपनी खूबियों की वजह से खास महत्व रखती हैं. ताड़ के पेड़ का हर एक हिस्सा खूबियों से भरा है. पत्तियों हो या फिर छाल या इसका तना भी, औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है और कई बीमारियों के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है. आइए जानते हैं ताड़ के पेड़ से जुड़ी कुछ खासियतों के बारे में.

दरअसल, ताड़ का पेड़ लंबा और सीधा होता है और इसके वृक्ष में डालियां नहीं होती हैं बल्कि इसके तने से ही पत्ते निकलते हैं. इसे कल्पवृक्ष भी कहा जाता है. देश में ताड़ के पेड़ से निकलने वाली ताड़ी बहुत लोकप्रिय होती है और इसका इस्तेमाल कई महोत्सवों में भी किया जाता है.

ताड़ के पेड़ से जुड़े फायदों पर नजर डालें तो ये मूत्र और पेट संबंधित समस्याओं में काफी कारगर मानी जाती है. बताया जाता है कि ताड़ के पेड़ से निकलने वाली ताड़ी की प्रकृति ठंडी होती है, जो कि पेट के लिए बेहद फायदेमंद है. इसके अलावा मूत्र संबधी रोग, आंख आना, वात और पित्त के लिए भी इसे लाभकारी माना गया है. ताड़ के पत्ते के रस को फल के साथ मिलाकर पीने से यूरिन के दौरान होने वाली जलन से भी राहत मिलती है.

जानकारी के अनुसार, ताड़ के पेड़ पर पाए जाने वाले ‘ताड़गोला’ के भी कई फायदे हैं. ये फाइबर से भरपूर होता है, जो मेटाबॉलिज्म को तेज करने का काम करता है और पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है. साथ ही ये कब्ज की समस्या को दूर करने में कारगर माना जाता है.

इसके अलावा ताड़ की पत्तियों और छाल को भी काफी उपयोगी माना गया है. ताड़ के पत्तों का रस और काढ़ा, छाल का चूर्ण बनाकर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. अगर आंखों के आसपास के हिस्से में इंफेक्शन या खुजली की दिक्कत होती है तो ताड़ की पत्ती का रस इसके लिए कारगर होता है.

साथ ही पत्तों के रस का सेवन काढ़े के रूप में करने से लीवर संबंधी बीमारियों से बचाव होता है और ताड़ की छाल का चूर्ण भी लीवर के लिए फायदेमंद माना जाता है. ताड़ को टाइफाइड की वजह से आने वाले बुखार में भी उपयोगी माना गया है.