कराची में योग का ध्रुवतारा हैं कहकशां नदीम

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 11-08-2021
कहकशां नदीम
कहकशां नदीम

 

मंसूरुद्दीन फरीदी / नई दिल्ली

योग कोई धर्म नहीं है, यह जीवन का एक तरीका है, प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने का एक तरीका है. ’

इसे देखने का कोई दूसरा तरीका नहीं है. यह शारीरिक व्यायाम है, जो आध्यात्मिक शांति की ओर ले जाता है. ’

पाकिस्तान में नई पीढ़ी इस बात पर बहस नहीं कर रही है कि इसका क्या मतलब है.

लोग योग का अभ्यास धर्म की खोज में नहीं, बल्कि अध्यात्म की खोज में करते हैं.

मोक्ष और निर्वाण जीवन का उद्देश्य है, इस मंजिल तक पहुंचने का मार्ग है योग.

आध्यात्मिक स्वतंत्रता लक्ष्य है, आकर्षक शरीर नहीं.

ओउम में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है, इसे सार्वभौम ध्वनि के रूप में मान्यता प्राप्त है.

यह शब्द मन, शरीर और आत्मा की एकता का प्रतिनिधित्व करता है.

ये किसी भारतीय योग गुरु के विचार नहीं हैं, बल्कि सीमा पार पाकिस्तान के कहकशां नदीम के विचार हैं, जो कराची में योग की प्रतीक हैं, जिन्होंने योग में और योग के लिए जीने का फैसला किया है.

योग के अब पाकिस्तान और दुनिया भर में ध्यान का केंद्र हैं. 46 वर्षीय कहकशां ने पिछले 22 वर्षों से योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है. पारंपरिक या प्राचीन शैली के योग के बाद पाकिस्तान में पहली बार ‘एरियल योग’ सुर्खियों में है.

वह पाकिस्तान में अपने ‘योग लव’ के लिए जानी जाती हैं. वह टीवी शोज में बतौर गेस्ट नजर आती हैं, अपने अनुभव जनता के सामने रखती हैं और कहीं न कहीं लोगों को योग की ओर आकर्षित कर रही हैं.

दिलचस्प बात यह है कि भारतीय मूल के साथ, वे भारत के साथ जन्मसिद्ध संबंध में भी विश्वास करती हैं.

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने योग प्रशिक्षण के लिए नेपाल से थाईलैंड की यात्रा की, लेकिन दोनों देशों के बीच संबंध ऐसे हैं कि उन्हें अपने भारतीय गुरु से मिलने के लिए वीजा से वंचित कर दिया गया है.

हैरानी की बात यह है कि भारत में योग व्यायाम से ज्यादा राजनीति बन गया है, इसे धार्मिक रंग दे दिया गया है, लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी योग जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है और तेजी से महत्व प्राप्त कर रहा है.

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‘एरियल योग’


उन्होंने योग के लिए नेपाल में तीन घंटे का उन्नत वाईटीटी प्रशिक्षण लिया था. उसके बाद उन्होंने शास्त्रीय योग संस्थान पाकिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त किया था. उन्होंने पहले प्रशिक्षण में एक हजार घंटे बिताए. एरियल योग के लिए, उन्होंने बाली में गर्म योग और हवाई योग पाठ्यक्रम किए.

आवाज-द वॉयस उर्दू के संपादक मंसूर-उद-दीन फरीदी ने हाल ही में कराची में योग की चमकदार लौ कहकशां नदीम से बात की.

प्रश्नः योग और धर्म, इस पर आपका क्या विचार है?

उत्तरः देखिए, योग को समय चाहिए, धर्म नहीं. योग तब शुरू हुआ, जब चिकित्सा विज्ञान मौजूद नहीं था. यह जीवन का मार्ग बताता है. जीवन का तरीका समझाया गया है, यह नहीं कहा जाता है कि भोजन क्या है और क्या नहीं है, बल्कि यह समझाया जाता है कि कब खाना है और कैसे खाना है. इसका धर्म से कोई लेना-देना नहीं है.

हमें यह समझना होगा कि योग केवल स्वास्थ्य के बारे में है. इसके शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ हैं. हम इसे जीवन का हिस्सा बनाकर स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.

योग का कोई धर्म नहीं होता, योग का कोई ईश्वर नहीं होता. यह एक सभ्यता का हिस्सा है.

मैं एक बात स्पष्ट कर दूं कि योग जीवन के साथ है, इसका परलोक से कोई लेना-देना नहीं है. वह न तो नर्क की ओर ले जाएगा और न जन्नत के मार्ग में बाधक होगा.

योग एक ऐसा इलाज है, जिसमें किसी गोली की जरूरत नहीं होती. 

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मन की शांति के लिए योग 


प्रश्नः पाकिस्तान में योग को किस आधार पर स्वीकार किया जाता है?

उत्तरः योग वास्तव में जीवन शैली का एक हिस्सा है. यह एक व्यायाम है, लेकिन इसका आध्यात्मिक संबंध भी है.

इसमें कोई शक नहीं कि शुरुआत में यह मुश्किल था. जब मैंने शुरू किया, तो बहुत कम लोग योग करते थे, लेकिन पिछले दस वर्षों में चीजें बदल गई हैं.

जो छात्र मुझसे जुड़ते हैं, वे व्यायाम में रुचि रखते हैं, वे किसी भी चर्चा में भाग नहीं लेते हैं और पसंद नहीं करते हैं. वे योग में रुचि रखते हैं, इसके आध्यात्मिक पहलुओं की तलाश में हैं, धार्मिक नहीं.

यदि हम यह समझ लें कि सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा, तो योग केवल जीवन का दर्शन है, यह स्वयं को समझना है, दूसरों को नहीं.

सच तो यह है कि नई पीढ़ी बहुत बदल गई है, सोच बदल गई है, योग के लिए आने वाले लोग इस बहस में नहीं पड़ते कि इसका रंग धार्मिक है या नहीं.

वे जानते हैं कि यह धर्म के बारे में नहीं है, योग आध्यात्मिकता के बारे में है, यह मन की शांति और मन की शांति का स्रोत है.

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योग आसन से शारीरिक लचीलापन

प्रश्नः भारत में योग पर राजनीति होती है, धर्म के आधार पर कई आपत्तियां उठाई जाती हैं, चाहे वह सूर्य नमस्कार हो या ओउम. क्या आपको कभी पाकिस्तान में इस तरह के विरोध का सामना करना पड़ा है या नहीं?

उत्तरः समय बहुत बदल गया है, लोग अब राजनीति और धर्म से ऊपर सोच रहे हैं.

इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान में योग की उपेक्षा इसलिए की गई, क्योंकि इसके तार ऐतिहासिक रूप से भारत से जुड़े हुए थे.

शुरुआत में पाकिस्तान में लोग नाराजगी दिखाते थे और सोचते थे कि मैं इसे क्यों बढ़ावा दे रही हूं. यह हिंदू वेद है. मैंने लोगों को समझाया कि यह सिर्फ एक एक्सरसाइज है, एक्सरसाइज करने का एक प्राचीन तरीका है.

धीरे-धीरे सभी को एहसास हुआ कि यह एक सकारात्मक प्रक्रिया है, इसे स्वास्थ्य के आधार पर अपनाना गलत नहीं होगा.

आप जानते ही हैं कि योग में ओउम का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है. इसे एक सार्वभौमिक ध्वनि माना जाता है. जो मनुष्य को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है. यह योग का एक महत्वपूर्ण अंग है. इसका धर्म या भक्ति से कोई लेना-देना नहीं है, यह सिर्फ एक मंत्र है.

जो लोग मुझसे जुड़ते हैं, वे अब योग में रुचि रखते हैं, वे आध्यात्मिकता के बारे में बात करते हैं, उन्हें धर्म पर चर्चा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, क्योंकि वे जीवन में अनुशासन लाने के लिए योग का उपयोग करना चाहते हैं.

प्रश्नः आप योग और भारत के बीच संबंधों को कैसे देखते हैं?

उत्तरः मैं आपको बता दूं कि मैं भी भारत को बहुत करीब से महसूस करती हूं, क्योंकि मेरा भारत में कहीं जन्म का संबंध है. मेरे चाचा दिल्ली में हैं. तब मैं बहुत छोटी थी. जब दिल्ली गई थी. धुंधली यादें हैं.

मैं बहुत यात्रा करती हूं, दुनिया में जहां भी जाती हूं, भारतीयों से मिलती हूं. मेरे कई भारतीय मित्र हैं. मेरे गुरु भी भारतीय हैं. जब मैं नेपाल और थाईलैंड जाती हूं, योग पाठ्यक्रम के बाद, मेरे सहयोगी, गोरे, अश्वेत, सभी भारत की ओर रुख करते हैं, लेकिन मुझे पाकिस्तान लौटना पड़ता है, क्योंकि मामला वीजा का है. इतनी भक्ति और उदासीनता के बावजूद, ‘दिल्ली अभी दूर है.’

मेरे लिए सबसे दुखद बात यह है कि जब से मुझे होश आया है, तब से मैं भारत नहीं जा सकी हूं. मैं प्रार्थना करती हूं कि अगर कोई रास्ता है, जो मैं भारत की ओर रुख कर सकूं. निश्चिंत रहें हम सब एक हैं.

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योग आसन से शारीरिक संतुलन

प्रश्नः क्या योग दोनों देशों के बीच क्रिकेट से ज्यादा मजबूत सेतु हो सकता है?

उत्तरः हाँ! इसमें कोई शक नहीं है. सबसे पहले तो क्रिकेट में एक व्यावसायिक पहलू है, लेकिन योग में आध्यात्मिकता की बात है. जोड़ मजबूत होता है. मेरा मानना है कि क्रिकेट से मजबूत पुल भारत और पाकिस्तान के बीच योग स्थापित कर सकता है. हालांकि हम अभी इसके महत्व को नहीं समझ पाए हैं.

पाकिस्तान में जो लोग योग में रुचि रखते हैं और आगे योग प्रशिक्षण के लिए भारत जाना चाहते हैं, वे वर्तमान स्थिति से बहुत निराश हैं. इससे पूरी दुनिया लाभान्वित हो रही है, लेकिन हम नेपाल और थाईलैंड तक सीमित हैं.

प्रश्नः कोरोना के दौर ने सबको बेघर कर दिया, सब अपने-अपने घरों में बंद रहे. आपका योग कितना प्रभावित है?

उत्तरः कोरोना के समय में बेशक योग स्टूडियो वीरान थे, लेकिन जीवन ‘ऑनलाइन’ था.

आपको आश्चर्य होगा कि यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा समय था. इस दौरान मैंने एक हजार से अधिक योग प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित किया.

मैंने कोरोना काल में देश-विदेश के छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज दीं.

जिससे न तो योग से दूरी का अहसास हुआ और न ही छात्रों की अनुपस्थिति.

इस दौरान मैंने अच्छा योगा और अच्छी नींद ली.

आपको हैरानी हो सकती है, लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोना काल में मेरा व्यस्त कार्यक्रम सामान्य से अधिक लंबा था. जब दुनिया कोरोना में सीमित जीवन को लेकर चिंतित थी, सब कारोबार ठप हो गया था. तब भी योग का उन्माद नई ऊंचाईयों को छू रहा था. सोशल डिस्टेंस तो था, लेकिन ‘ऑनलाइन’ क्लासेज ने खालीपन नहीं आने दिया.

इस दौरान उन्होंने न सिर्फ छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज दी, बल्कि खुद इंस्ट्रक्टर के तौर पर ऑनलाइन कोर्स भी पूरा किया.

प्रश्नः अब आप पाकिस्तान में एरियल योग की शुरुआत को लेकर सुर्खियों में हैं. नया मिशन क्या है?

उत्तरः हां, तीन साल बीत चुके हैं, यह योग का एक नया रूप है, जो दुनिया में तेजी से लोकप्रियता हासिल कर रहा है. यह शरीर में रक्त संचार को तेज करता है. शरीर में अधिक तनाव और लचीलापन आता है. एरियल योग कम समय में ज्यादा असरदार होता है.

मैंने उसे थाईलैंड में ट्रेनिंग ली. इसमें बहुत मेहनत लगती है.

जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि हर कोई कम समय में परिणाम चाहता है.

यदि आप पारंपरिक योग करते हैं, तो आपको इसे सप्ताह में सात दिन करना होगा. लोग सप्ताह में दो या तीन दिन योग करके परिणाम चाहते हैं. ऐसा नहीं हो सकता. महान योगी प्रतिदिन व्यायाम करते हैं और फिर उन्हें फल की प्राप्ति होती है.

प्रश्नः योग क्यों और कैसे?

उत्तरः योग में सबसे महत्वपूर्ण चीज है अध्यात्म. जब अध्यात्म आपके भीतर आता है, तो आपका मन और शरीर स्वस्थ हो जाता है. योग को जीवन शैली के रूप में अपनाया गया है. जो आपको स्वस्थ रखते हुए मन की शांति देता है.

जब आप योग का अभ्यास करते हैं, तो शक्ति, संतुलन, गतिशीलता, लचीलापन और स्थिरता अपने आप विकसित होने लगती है. शारीरिक और मानसिक संतुलन योग की एक विशेषता है.

योग की सबसे अच्छी बात यह है कि आप सचेत हो जाते हैं, यह आपके जीवन को प्रभावित करता है. आप इसे खाने, पीने और सोने पर लागू करें.

योग का अर्थ है कक्षा में सीखी गई बातों को अपने जीवन में लागू करना.

ये सकारात्मक संकेत हैं, जिनका आपके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

अगर हम बात करें कि योग कैसे करें?

योग करने से पहले आपको सबसे पहले यह समझना होगा कि आप क्या चाहते हैं.

आपको क्या करना है

यह आपकी जीवनशैली पर निर्भर करता है. अगर आप पूरे दिन किसी दुकान के काउंटर पर खड़े रहते हैं या आपको अधिक कुर्सियों पर बैठना पड़ता है. या फिर आपको अधिक भागदौड़ करनी पड़ सकती है.

आप अपने जीवन शैली का प्रभाव अपने शरीर पर देखने में सक्षम होंगे. यानी योग करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपको किस तरह के व्यायाम की जरूरत है.

प्रश्नः भारत आने के बारे में आप क्या सोचती हैं?

उत्तरः वीजा. वीजा - बस वीजा प्राप्त करना है. महान इच्छा रिश्तेदारी और जन्म-जन्म के संबंध की भावना के साथ योग का आकर्षण बहुत अधिक होता है. मैं प्रार्थना करती हूं कि अगर स्थिति में सुधार हुआ, तो मैं भारत आऊंगी.