भारत का पहला क्लिनिकल इनोवेशन राउंड टेबल जीआईएमएस में आयोजित

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 22-03-2025
India's first clinical innovation round table held at GIMS
India's first clinical innovation round table held at GIMS

 

ग्रेटर नोएडा. गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जिम्स), ग्रेटर नोएडा के "सेंटर फॉर मेडिकल इनोवेशन" ने शनिवार को भारत के पहले क्लिनिकल इनोवेशन राउंड टेबल का सफल आयोजन किया. इस कार्यक्रम का मुख्य विषय था, "बेडसाइड से ब्रेकथ्रू तक : हेल्थकेयर इनोवेशन में डॉक्टरों की भागीदारी."  

यह ऐतिहासिक पहल भारत में अस्पताल-आधारित नवाचार संस्कृति को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुई. इस आयोजन में देशभर से 50 से अधिक प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने भाग लिया, जिनमें चिकित्सक, शोधकर्ता, स्टार्टअप संस्थापक, इनक्यूबेटर प्रमुख और नीति-निर्माता शामिल थे.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा प्रताप सिंह ने अपने संबोधन में संस्थागत सहयोग और अकादमिक संस्थानों की भूमिका पर प्रकाश डाला, जो व्यावहारिक और वास्तविक इनोवेशन को बढ़ावा दे सकता है.

इसके अलावा, एनसीडीसी के "सेंटर फॉर वन हेल्थ" की संयुक्त निदेशक डॉ. सिम्मी तिवारी और एसटीपीआई नोएडा के निदेशक डॉ. संजय कुमार गुप्ता ने क्लिनिकल इनोवेशन और मेडटेक इनक्यूबेशन पर राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य साझा किए. इस दौरान कुछ महत्वपूर्ण चर्चाएं हुई और कुछ निष्कर्ष भी निकले.

राउंड टेबल के दौरान तीन प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्श हुआ, जिनमें चिकित्सक इनोवेटर के रूप में डॉक्टरों को आवश्यकता-आधारित नवाचार के लिए सशक्त बनाना, मेडटेक इकोसिस्टम का निर्माण : अस्पतालों, अकादमिक संस्थानों और स्टार्टअप्स के बीच समन्वय बढ़ाना और संस्थागत एवं नीतिगत समर्थन : मेडटेक इनक्यूबेशन और विस्तार के लिए नीतिगत ढांचे तैयार करना है.

इन सत्रों का संचालन जीआईएमएस के सेंटर फॉर मेडिकल इनोवेशन के प्रमुख डॉ. राहुल सिंह, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के डॉ. शक्ति, टी-हब के विजय बावरा और आईआईआईटी बैंगलोर के अबरार ने किया. कार्यक्रम के दौरान डॉक्टरों, स्टार्टअप संस्थापकों और अकादमिक विशेषज्ञों के बीच सहयोग की प्रबल इच्छा देखने को मिली.

चिकित्सकों ने नवाचार में सक्रिय रूप से भाग लेने की उत्सुकता दिखाई, जबकि स्टार्टअप और विश्वविद्यालय प्रतिनिधियों ने सस्ती और व्यावहारिक हेल्थकेयर तकनीकों के सह-निर्माण के लिए प्रतिबद्धता जताई.

जीआईएमएस के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. राकेश गुप्ता ने उद्घाटन संबोधन में कहा, "नवाचार केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए. यह मरीजों के बेडसाइड से उभरना चाहिए, जहां वास्तविक समस्याएं हैं. जीआईएमएस इस सोच को हकीकत में बदलने का पुल बना रहा है, इलाज और निर्माण के बीच."

आईआईटी, आईआईआईटी और अन्य प्रतिष्ठित चिकित्सा विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ शिक्षाविदों ने इस राउंड टेबल की खुली और समाधान-केंद्रित चर्चा की सराहना की. प्रतिभागियों ने इसे भविष्य के हेल्थकेयर इनोवेशन फोरम के लिए एक मॉडल बताया, जहां डॉक्टर और इनोवेटर समान भागीदारी निभाते हैं.