राकेश चौरासिया
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की सॉफ्ट पावर को प्रोजेक्ट करने के योग को विश्व फलक पर विस्तीर्ण किया. संयुक्त राष्ट्र भी इसके महत्व को स्वीकार करते हुए विश्व योग दिवस भी आयोजित करने लगा है. पीएम मोदी के प्रयासों से योगा यानी आसन और प्राणायाम की भारतीय जीवन पद्धति अब भारतीय उप महाद्वीप की सीमाएं लांघकर देश दुनिया में फैल चुकी है.
कुछ शुरुआती विरोधों के बाद अब दुनिया के 50 से ज्यादा इस्लामिक देश भी योग के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ के इस वरदान को अंगीकार कर चुके हैं.
भारतीय योग आयुर्वेद का एक अंग है. शब्द ‘योग’ संस्कृत मूल ‘युजॅ से लिया गया है, जिसका अर्थ जुड़ना या एकजुट होना है. 2,700 ईसा पूर्व की तारीखें सिंधु-सरस्वती घाटी सभ्यता का ‘अमर सांस्कृतिक परिणाम’ माना जाती हैं, जिसमें योग का विस्तृत वर्णन मिलता है. हिंदू योगियों के अनुसार, योग की उत्पत्ति 5,000 साल पहले उत्तरी भारत में हुई थी और सबसे पहले इसका उल्लेख सबसे पुरानी हिंदू धर्म ग्रंथ ऋग्वेद में मिलता है.
योग की प्रारंभिक शिक्षाएं पत्थरों पर खुदी हुई थीं या पत्तियों पर लिखी गई थीं, जो अब लगभग विलुप्त हो चुकी हैं.
ज्यादातर इस्लामी विद्वान मानते हैं कि योग एक वास्तविकता है. अल्लाह की बेहतर इबादत करने और बेहतर मुसलमान बनने के लिए योग के कौशल का इस्तेमाल करना उचित है. इस्लाम में भी एक स्वस्थ और फिट शरीर पर जोर दिया गया है. एक मुसलमान जानता है कि उसका शरीर अल्लाह की ओर से एक उपहार है.
योग और तारिकत-ए-नक्शबंदी (सूफी जीवन शैली) के उद्देश्य स्पष्ट रूप से समान हैं, क्योंकि दोनों का उद्देश्य परम वास्तविकता के साथ एक रहस्यमय मिलन प्राप्त करना है. अशरफ एफ. निजामी की पुस्तक ‘नमाज, द योगा ऑफ इस्लाम’ के अनुसार योग कोई धर्म नहीं है, बल्कि, यह तकनीकों और कौशलों का एक समूह है, जो किसी भी धर्म के अभ्यास को बढ़ाता है.
निजामी लिखते हैं कि नमाज में विभिन्न घटक जैसे सिजदा आधा शीर्षासन की तरह होता है, जबकि कायम वज्रासन उसी तरह होता है, जैसे पश्चिमोत्तानासन होता है.
यहां तक कि फादर रेवरेंड एम. डेचनेल ने ईसाई योग रिकॉर्डिंग पर एक किताब लिखी है कि योग का अभ्यास करने को प्रोत्साहित किया जाता है क्योंकि यह ईसाई शिक्षाओं की प्राप्ति का एक तरीका है. नमाज में ‘सलात’ अभिन्न अंग है और सलात शब्द का मूल अर्थ ‘पीठ के निचले हिस्से को मोड़ना’ है और यह योग में भी होता है. अद्वैत वेदांत का योग तत्व मीमांसा भी ‘तौहीद’ (ऐकेश्वर) के इस्लामी सिद्धांत के अनुरूप है, उच्चतम स्तर पर इस्लाम और योग के बीच पूर्ण अनुकूलता है. कुछ उलेमा ओउम् शब्द पर आपत्ति अवश्य करते हैं. यह शब्द ईश्वरीय सर्वोच्चता का प्रतीक शब्द है. तो इसके स्थान पर सुविधानुसार अल्लाह शब्द का इस्तेमाल भी तो किया जा सकता है.
योग प्राचीन शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक प्रथा है, जो हिंदू जीवन परंपरा में निहित रही है, लेकिन अब योग धर्म के दायरे से बाहर आ चुका है. बहुसंख्य इस्लामी संगठन के प्रतिनिधि भी योग का इसलिए समर्थन करते हैं, क्योंकि नमाज में योग की कई मुद्राएं शामिल हैं.
संयुक्तयूएई, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, तुर्की, ईरान, इंडोनेशिया, कतर और ओमान उन इस्लामी राष्ट्रों में से हैं, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र के योग दिवस प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया था. कुछ 175 राष्ट्रों ने इस संकल्प को सह-प्रायोजित किया है.
हालांकि प्रारंभ में पाकिस्तान, सऊदी अरब, मलेशिया, ब्रूनेई, मॉरिटियाना, कैमरून, लीबिया ऐसे सदस्य थे, जिन्होंने योग दिवस के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित नहीं किया था, लेेकिन अब इन सभी देशों में या तो अधिकारिक स्तर पर या सार्वजनिक स्तर योग दिवस आयोजित किया जाना लगा है.
सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान विश्व अर्थव्यवस्था से जुड़ने के लिए नियमों में परिवर्तन कर रहे हैं. इसी सिलसिले में योग को भी सम्मिलित किया गया है और अब सऊदी में कई योग केंद्र खुल गए हैं और योग सामान्य जीवन में लोकप्रिय हो रहा है. कई सऊदी खेल विज्ञानी भारत में आकर योग का अध्ययन और प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैैं.
सऊदी अरब के खेल मंत्रालय ने तो योग को बढ़ावा देने के लिए एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिमसें 11 अरब देशों को आमंत्रित किया गया. देश की वाणिज्यिक राजधानी जेद्दा में ‘अरब यूथ एम्पावरमेंट प्रोग्राम’ कार्यक्रम में योग पर व्याख्यान और व्यावहारिक सत्र देखे गए. इसमें देश की पहली योगाचारिणी और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित नौफ अल-मरवाई ने भाग लेने वाले प्रतिनिधियों को योग के फायदों के बारे में जानकारी दी. जिन देशों के प्रतिनिधिमंडल ने इस कार्यक्रम में भाग लिया, उनमें यूएई, ओमान, मिस्र, ट्यूनीशिया, मोरक्को, अल्जीरिया, लीबिया, यमन, फिलिस्तीन और मॉरिटानिया शामिल थे.
सऊदी अरब में योग की शुरुआत करने का श्रेय नौफ को दिया जाता है. उनका कहना है, ‘‘हमारा मिशन योग प्रशिक्षकों की संख्या में वृद्धि करना है और उन्हें समाज के सभी वर्गों के लिए प्रोत्साहन जागरूकता और उत्साह फैलाना है.
आपको यह देखकर आश्चर्य होगा कि भारत का हर बिंदु पर विरोध करने वाले पाकिस्तान में भी योग कितनी तेजी से फैल गया है. पाकिस्तान के शहरों और गांवों में अब योग कक्षाएं आम हो गई हैं. पार्कों में सैकड़ों लोग इकट्ठ होकर प्रतिदिन योग अभ्यास करते हुए देखे जा सकते हैं. दरअसल जिन बीमारियों का इलाज मार्डन साइंस में नहीं है, योग ऐसे जटिल बीमारियों के उन्मूलन में भी बेहद कारगर है. इसलिए पाकिस्तान में भी लोग योग से जुड़ रहे हैं.
पाकिस्तान में कई योग गुरुओं में रियाज खोकर को राष्ट्रीय स्तर का योग उपदेशक माना जाता है. अपने अथक परिश्रम से उन्होंने पिछले 18 वर्षों में योग को पूरे पाकिस्तान में लोकप्रिय बना दिया था. वह पाकिस्तानियों के बीच इस स्वास्थ्य सेवा कला को स्वीकार्य बनाने के लिए योग में अपनी दीक्षा का श्रेय अपने ‘गुरु’’ प्रोफेसर वासिक मोहम्मद को देते हैं.
लाहौर में वे प्रतिदिन लोगों को प्रातःकाल में योग करने के लिए प्रोत्साहित करते थे. उनके निधन के बाद उनके दो शिष्य रियाज खोकर और इंजीनियर आजम उनके मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं.
रियाज खोकर ने पाकिस्तान योग परिषद की स्थापना की और उन्हें पाकिस्तान के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, लीजेंड अवार्ड से सम्मानित किया गया. परिषद के लगभग 200 केंद्र हैं, जो जनता को मुफ्त योग प्रशिक्षण प्रदान करते हैं. खोकर योग को किसी धार्मिक विचारधारा से जोड़कर नहीं बल्कि मन और शरीर के शुद्ध व्यायाम से जोड़कर देखते हैं. एक समय था कि योग के प्रति उनके प्रेम के कारण उन्हें ‘हिंदू एजेंट’ करार दिया गया था. उन्हें रॉ एजेंट भी कहा जाता था, लेकिन एक समय ऐसा आया, जब सभी ने इसके गुणों को पहचाना और पाकिस्तान में योग करने वालों के अच्छे इरादों को भी समझा. उन्होंने योग पर आठ पुस्तकें लिखी हैं. रियाज दरअसल खुद युवावस्था में सिजोफ्रेनिया के शिकार हो गए थे. काफी इलाज के बावजूद जब कुछ नहीं हुआ, तो उन्होंने किसी के मशविरे पर योग की शरण ली और वे रोगमुक्त हो गए. उसके बाद उन्होंने जीवन का ध्येय योग को ही बना लिया.
यूएई ने अपने नवाचारों से अरब की जीवन शैली को बहुत गहरे प्रभावित किया है. यूएई ने उन सभी आयामों को स्वीकार किया है, जो मानव जीवन के लिए किसी भी तरह उपयोगी हो सकते हैं. यही कारण है कि यूएई में जब टूर ऑपरेटर से जानकारी चाहते हैं, तो वे बड़े प्रसन्नता से बताते हैं कि उनके टूर पैकेज में योग कक्षाएं भी शामिल हैं. यूएई में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं, जो योग के लाभों से भी परिचित होते हैं.
फिट रहने की जीवनशैली के लिए, जेनिफर एनिस्टन, लेडी गागा और रिचर्ड गेरे जैसे कई अन्य सेलेब्रिटी ने योग की बहुत प्रशंसा की है. इसलिए पश्चिमी देशों में तो यह बड़े पैमाने पर लोकप्रिय हो गया है. ऐसे पश्चिमी पर्यटक यूएई में टूर पैकेज की योग कक्षाओं का लाभ उठाते हैं. अब तो यहां के अस्पताल भी हैल्थ पैकेज में योग को शामिल करने लगे हैं.
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